अभी हाल मे तथाकिथत धमल समबिनधत दो घटनाये हुंई। पहली मैगलौर मे जहां िकसी शी राम सेना ने
पब मे शराब पीती हुई लड़िकयो के साथ हाथापाई की और उनहे वहां से भाग जाने पर मजबुर िकया। एक
समपूणत
ल या िननदनीय वाकया है । िकसी वयिि िवशेष को िकसी अनय वयिि पर अपनी मानयताये थोपने
का कोई अिधकार नहीं है ।कानून अपने हाथ मे लेने वाले के साथ सखती से पेश आना सरकार की
जवाबदे ही है ।
इसके साथ एक और पश उठता है मीडीया मे इस घटना के पकेपण का । इस आम घटना को इतना तूल
िदया गया िक मानो एक और मुमबई घट रहा हो।सारे टी वी चैनेलो ने इस समाचार को काफी
Prominence दी। आरोपी के िकसी पुराने विवय से जोड़ कर उसे मालेगांव बम धमाके से जोड़ने का पयास
भी िकया। साथ ही तमाम "िहनदव
ु ादी संसथाओं" यािन संघ से जुड़ी सभी संसथाओं को भी िबना िकसी
सबूत के इस घटना के अपतयक दोषी के रप मे रं गने का पयास भी िकया।
वहीं एक दस
ू री घटना ::पांच फनवरी को अंगेजी के समाचार पत ने एक आलेख छापा "Why should i
respect oppressive Religions". यह लेख िििटश समाचार पत "The Independent" से उदत
ृ है । इस लेख
मे िकसी भी "Oppressive Religion" के िखलाफ िलखा गया है । इसमे मूलतः इसाई एवं इसलाम धमगुर
ल ओं
की मानिसकता पर पश खड़े िकये गये है ।मूल मुदा है िक सोचने और िवशास (Thought, belief) पर अंकुश
लगाने का अिधकार िकसी को नहीं है । िकसी भी िवषय पर सवसथ बहस सवीकायल ही नहीं लािजमी भी
होनी चािहये।