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आशम के ििरद िकय े ज ा र हे कुप चार क ा पदा ा फाश

ऐसा कुपचार िकया जा रहा है िक पूजय संत शी आसारामजी बापू 'िशीकरण ििदा'
आजमाते है । आशम िशीकरण ििदा की बात को सिीकार नहीं करता। िजस पकार कोयल अपनी
मीठी िाणी से जगत को िश मे कर लेता है , उसी पकार पूजय बापू जी के शीमुख से पिािहत
गीता, भागित, रामायण, उपिनषद, षडदशन
ा एिं िेदो के उपदे शो का अमत
ृ जनमानस को उनके
सतसंग मे खींच लाता है । आभामंडल ििशेषज डॉ. तापरला हीरा ने इस रहसय का िैजािनक
पमाण खोजने के िलए पूजज शी की आभा का अधययन करके बताया िक उनकी आभा इतनी
शििशाली और वयापक है िक उसके िदवय पभाि से लोग अपने आप उनकी ओर िखंचे चले आते
है । सिामी िििेकानंद और रामतीथा जैसे महापुरषो का वयििति भी ऐसे भगिदीय आकषण
ा से
समपनन था। शी कृ षण के बंसीनाद से पभािित होकर पशु-पकी, मानि सुध-बुध भूल के िशीभूत
होकर उनकी ओर िखंचकर चले आते थे। पूजय बापू जी के शीमुख से उनहीं भगिान शीकृ षण की
गीता के सतसंग की जहाँ िषाा होती हो, िहाँ लाखो-करोडो साधक-शदालु िखंचकर आये तथा उसे
कुपचार करने िाले िशीकरण कहते हो तो यह िशीकरण भारतीय संसकृ ित का है , भगिान
शीकृ षण का है , महापुरषो का है । ऐसे जानोपदे श के रसपान के जाद ू को रोकने हे तु िपछले पाँच
हजार िषो मे इस दे श पर हीन ििृि के लोगो ने, ििधिमय
ा ो ने और ििदे शी आकानताओं ने कई
हमले िकये परनतु िे सफल नहीं हो पाये।
आशम के ििरद कुपचार िकया जा रहा है िक गुरकुल के बालको की बिल चढायी गयी
होगी। यह बात इतनी घण
ृ ासपद ि दःुखद है िक इससे भारत पर फैले हुए सैकडो आशमो एिं
करोडो साधको ि शदालुओँ को आघात पहुँचा है । बापू जी के सतसंग मे आने के बाद और दीका
लेने के बाद िशषय-भि मांस, मछली ि अंडे जैसे पदाथा न खाने की पितजा लेते है और
परमपरागत रप से पशुबिल दे ने िाले कई समूहो को पशुबिल न चढाने के िलये समझाया जाता
है । ऐसे मे बालको की बिल की घण
ृ ासपद बात फैलाने िाले आशम दारा चलाये जा रहे भारतीय
सनातन संसकृ ित के पचार पसार के यज मे हििडयाँ डालने जैसी पििृि कर रहे है , जो िक
धमिाहत, दे शिहत, समाजिहत और हमारी संसकृ ित के िहत के िलए बंद होनी चािहए। दिुनया के
सैकडो दे शो मे लाखो लोगो की आकिसमक मतृयु होती है , िफर भी उस िनिमि को इतना ििकृ त
रप दे कर मीिडया के दारा राजनैितक अिसथरता पैदा करना, िनदोष जनता पर पथराि करना,
गािडयाँ जलाना आिद िकसी भी दे श मे नहीं होता।
भगिान शीकृ षण को खतम करने के िलए कंस मैदान मे आ गया था, भगिान बुद ि
महािीर को है रान, परे शान, बदनाम करने के िलए उनके समकालीन िनंदको ने समसत दाँि-पेच
अपनाये थे। िजन भी अितारो, महापुरषो ने िैिदक सनातन संसकृ ित के पचारक ि पहरी का काम
िकया है या समाज-सेिा, धमा-सेिा एिं समाज सुधार का िबगुल फूँका है , उनकी लोकिपयता से
भयभीत होकर असमािजक ततिो ने उनहे बदनाम करने मे सताने मे कोई कमी नहीं रखी। मंसूर
को सूली पर चढाया गया, जीसस को कॉस पर चढाया गया, सुकरात को जहर िदया गया, मुहममद
पैगंबर को मकका से मदीना िहजरत करने के िलए िििश िकया गया – इितहास ऐसे सैकडो
दषानतो से भरा पडा है । ऐसे मे पूजय आसारामजी बापू, िजनके करोडो अनुयायी है , को बदनाम
करने के िलए िििभनन रप से सिाथी तति मैदान मे आये है तो इसमे कोई आशया नहीं है ।
वयिि की दे ह से भी उसके ईशर, अपनी संसकृ ित तथा धमा के पित शदा अिधक कीमती
है । आज यूरोप, अमेिरका ि रिशया का शदाििहीन समाज ििनाश की ओर धकेला जा रहा है ।
ऐसे समय मे कठोर पिरशम के बाद करोडो वयिियो के हदय मे धमा, संसकृ ित और राषिहत के
िलए संतो दारा पैदा की हुई शदा को अपने अहं कार की पूिता के िलए, कुद सिाथा के िलए तोडना,
यह लाखो मानिो की हतया करने के समान माना जायेगा और ऐसा महापाप करने िाले ततिो
को ईशर माफ नहीं करते है – इितहास साकी है ।
आशम के भिजन बाल संसकार केनद चलाते है , संकीतन
ा याताओं के दारा जनजागिृत
करते है , गरीबो मे भंडारे के दारा उनहे अनाज-कपडे तथा जीिनािशयक िसतुओँ का िितरण करते
है , युिाधन सुरका अिभयान चलाते है , मांसाहार का िनषेध करते है । आशम के दारा ऐसी समाज
कलयाण (social welfare) की सििाहतकारी (public interest) की सेिा पििृियाँ होती है । आशम के
एक-एक कोने, एक-एक िक
ृ , एक-एक कमरे का उपयोग सभी जाित िालो के िलए खुला है ।
आशम दारा साल मे लाखो मरीजो की िचिकतसा सेिा की जाती है । लाखो िपछडे लोगो,
आिदिािसयो, िंिचतो, गरीबो, ििधिाओँ अनाथो को भंडारो के दारा अनन, िस, बतन
ा आिद का दान
िकया जाता है । भारत भर मे अनेक सथानो पर लाखो लोगो को िनःशुलक अनाज-िितरण िकया
जाता है । आशम दारा 'पातंजल योगििजान' अनुरप अनेक तािलमबद पिशकको दारा सैकडो
िशििरो के माधयम से ििदािथय
ा ो को मागद
ा शन
ा िदया जा रहा है । बडी संखया मे ििदान, िैजािनक,
नयायाधीश, पतकार, सांसद, ििधायक, मंती एिं दे श का पबुद िगा पूजय बापूजी के सतसंग-
मागद
ा शन
ा से लाभािनित होकर अपने को धनय कर रहा है ।
भिो की ििशाल संखया को धयान मे रखते हुए इस िषा दे श के सात सथानो पर
गुरपुिणम
ा ा महोतसि का आयोजन िकया गया था, तािक लोगो को पिरशम न पडे । हर जगह पूजय
बापू जी दारा यह घोषणा की गयी िक 'चीज-िसतु, रपया-पैसा, दान नहीं चािहए।
तू त ेरा उर आ ँगन द े द े , मै अ मृ त की िषा ा कर दँ ू । '
सभी पाििा यो के नगरसेिक, ििधायक, सांसद और मंती बापू जी के सतसंग मे आते है , बापू
जी का आशीिाद
ा पाते है और सफल हो जाते है । बापू जी के करोडो-करोडो शोता है । गुरपूिणम
ा ा
पिा पर अपनी शदा-भिि अिभवयि करने के िलये पतयेक सथान मे लाखो-लाखो शदालु भिो का
मानि समूह उमड पडा था।
आशम के बारे मे भामक पचार िकया जा रहा है िक आशम मे तांितक ििदा का पयोग
होता है । इस बारे मे सपष िकया जाता है िक आशम मे न तो तांितक ििदा का पयोग िकया
जाता है और न ही उसे समथन
ा या सहयोग िदया जाता है । िेदोि संयम तथा बहचया का पचार
िकया जाता है । आशम ने गीता और िेदांत मे पशसत कमय
ा ोग, जानयोग और भिियोग का मागा
अपनाया है । आशम समाज और गरीब-गुरबो की सेिा दारा कमय
ा ोग, धयान दारा जानयोग,
आतमबोध और सिश
ा ििमान एक ईशर की समपूण ा शरणागित की साधना दारा भिियोग के
पचार-पसार मे रत है तथा सदाचरण दारा सिाग
ा ीण ििकास के ििचारो से ओतपोत है । इसका
पतयक पमाण पूजय बापू जी के सतसंग है , जो एक खुली िकताब है , िजसे गत अनेक िषो से
आम जनता ऑिडयो ि िििडयो माधयमो से सुन ि दे ख रही है ।
पूजय बापू जी ने केिल यूरोप, अमेिरका मे ही नहीं, अिपतु पािकसतान मे भी भारतीय
संसकृ ित की धिजा फहरायी है । िे पािकसतान के िििभनन सथानो मे हजारो िहनदओ
ु ँ और
मुसलमानो को बीच भारत की िैिदक परमपरा एिं संत-सूफी परमपरा की सतसंग-िषाा करने िाले
लोकसंत है । पािकसतान के िहनद ू-मुसलमान सभी ने उनका सतसंग पाकर धनयता का अनुभि
िकया। सन ् 1893 मे िशकागो मे 'ििशधमा संसद' मे सिामी िििेकानंदजी ने भारतीय संसकृ ित का
पितिनिधति िकया था, उसी पकार बापू जी ने सन ् 1993 मे आयोिजत 'ििशधमा संसद' मे भारत
का पितिनिधति करके समग ििश मे दे श का गौरि बढाया था।
उपयुि
ा पिरिसथितयो मे जब तक गुजरात एिं दे श की आम जनता कुपचार से गुमराह
हुए िबना, दध
ू का दध
ू और पानी का पानी करने के िलए कििबद ने हो, तब तक संतो को
सताने, हमारी संसकृ ित को िमिाने, िहनद -ू िहनद ू को लडाने के ये षडयंत चलते रहे गे।
िाघेला पिरिार के दो कुलदीपको के आकिसमक दे हािसान से उनके पिरजनो को िजतना
आघात लगा है , उतना ही आघात और दःुख बापू जी सिहत समग आशम पिरिार को हुआ है ।
इस समपूणा घिनाकम के ििषय मे जाँच चल रही है । आशम िकसी भी नयाियक जाँच के िलए
पूरी तरह सहयोग दे गा और िकसी भी उचचसतरीय एजेनसी दारा जाँच का सिागत करता है तथा
इस घिना को लेकर कोई ििपपणी करके नयाियक पिकया मे अिरोधरप नहीं बनना चाहता है ।
आशम दारा पुिलस ि पचार-माधयमो के समक पूरी पारदिशत
ा ा रखते हुए पूरी जानकािरयाँ
एिं सहयोग िदया गया। पुिलस की जाँच-पिकया चालू है , िनणय
ा अभी तक घोिषत नहीं हुआ।
िफर भी संसथा को गुनहगार मानते हुए दे श के कोने-कोने से आये हुए िनदोष, भगितपेमी
भिजनो पर कुछ असमािजक ततिो ने अपने सिाथा के िलए िकराये के गुड
ं े लाकर िजस तरह से
पथराि, बेरहमी से मारपीि, बहनो के साथ बीभतस वयिहार िकया, भिो के िाहन जलाये, उनकी
धािमक
ा सितनतता का हनन िकया, उसकी हम कडे -से-कडे शबदो मे भतसन
ा ा करते है । िनदोष,
मासूम बालको की िचताओं पर अपने कुद सिाथा की रोिियाँ सेकने िालो के षडयंत की भी
उचचसतरीय जाँच होनी चािहए और दोिषयो को कडी-से-कडी सजा दी जानी चािहए।
पूजय बाप ू जी न े कहा िक 'अमदािाद के लोग म ुझ े अ चछी तरह पह चानत े है।
अमदािाद क े लोग स जजन ि अचछ े ह ै , उनको बदनाम नह ीं होन े िदया जा ये। िकराय े
के आदमी लाकर अ समािज क ततिो दारा बदिनयती स े यह सािज श करायी गयी ह ै।
भगिान सबका म ंगल कर े। आप भी ख ु श रह े , सुखी रह े ि द ू सरो को भी ख ु श कर े ,
सुखी रख े।
भि पिरिार
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