Anda di halaman 1dari 1

8/27/2018 dimostration in metallic alchemy: Surya Tatva (Sun Element) - सय

ू त व

सव सवा मकं के िनयम अनुसार सृि म पाए जाने वाले सभी पदाथ म सब कु छ ा है,इसका अथ
ये आ क   लोहा लोहा मा नह है बि क उसमे कांच के भी गुण है और गुलाब के भी,पर तु लोह
त व क अिधक धानता होने के कारण वो हम लोह धातु के प म दृि गोचर होता है.य द कसी
भी या का सहयोग लेकर उसके अ य कसी ताि वक गुण का िव तार कया जाये तो ऐसे म वो
उस धातु,पु प या पदाथ का ही प दखाने लगेगा िजसके गुण का िव तार कया गया है. पर तु ये
इतना सहज नह है, यूं क मा कसी िवषय का ान होने से आप उसमे िनपुणता नह पा
सकते,बि क ान को िव ानं म प रव तत कर योग करने पर ही सफलता संभव है.
   और तं के इसी भाग का(िजसमे ान यु िस ांत को िव ानं पी योगा मक या म
प रव तत कया जाता है) योग करने से हम ऐसे ऐसे रह य का िव फोट कर सकते ह जो सामा य
मानवीय क पना से परे ह.
    वैमािनक शा के प म सैकड़ थ ह िजनमे इस ान को िव ानं के प म प रव तत करने
का िवधान बताया गया है,अथात सूय के मूल त व को लेकर कै से सरलता से अपने मनोरथ को
साकार कया जा सकता है.पदाथ प रवतन तो ठीक है उसके साथ ही वायुगमन कया जा सकता
है,जल गमन कया जा सकता है, िवराट अकार धारण कया जा सकता है अपने आपको ब त भारी
इसका सामा य िस ांता ये है क सृिजत पदाथ म हमेशा प
कया जा सकता है आ द आ द.... 
त व तो ा ह गे ही,मतलब पृ वी,जल,अि ,वायु और आकाश. अब य द कसी भी पदाथ के
भीतर अणु का प रवतन कर पृ वी और जल त व को िवरल(कम) कर दया जाये और आकाश
तथा वायु त व को यादा कर दया जाये तो उस पदाथ िवशेष के सहयोग से सहजता से वायु
गमन या शू यता क ाि क जा सकती है.और य द मा आकाश त व का िव तार कया जाये
तथा अ य त वो को अ यिधक यून कर दया जाये तो अदृ य होना संभव है.य द अि त व,वायु
त व और आकाश त व को यादा िव तार दया जाये और अ य त वो का लु ायः कर दया
जाये तो ऐसे म हम उन पदाथ को भी ा कर सकते ह जो भिव य के गभ म छु पे ए ह और
वतमान म िजसका ाक हमारे सामने नह है. आप खुद ही सोिचये क य द सूय िव ानं का
ामािणक और ायोिगक ान हम हो सके तो कोई भी या अस भव नह रह जायेगी.पर तु इस
ान को सीधे सूय से ही ा कया जा सकता है वो भी साधना के ारा,हमारे िलए सूय को अ य
देना या सूय नम कार करना सामा य सी बात होगी पर तु हम ये त य ात नह है क इन या
के साथ साथ िजन बीज म और म का योग होता है वे उस िवशेष शारी रक मु ा और
अव था के साथ एक िवशेष या करते ह िजसे शरीर थ च म िवशेष उजा और शि का
िवखंडन और संलयन होता ही है.और य द साधक इसके साथ सूय साधना के गु मं का भी जप करे
तो उसे सूय िव ानं के गूढ़ त वो का ना िसफ ान होता है अिपतु वो इसम ायोिगक कु शलता भी
ा कर लेता है.उ पि से लेकर ले तक के सभी गूढ़ रह य से उसका सा ात् हो जाता है. ये हम
सभी जानते ह क सूय नम कार करने से शरीर व थ रहता है या सूय को अ य देने से िनरोगी देह
और ती ने योित क ाि होती है,पर तु फर भी आल य और माद के कारण इसे करने म
कोई यान नह देता,अरे थोडा सोचो क इन या को करने से आिखर हमारे शरीर पर सूय का
या भाव पड़ता है जो हम आरो य और काश क ाि होती है.और वो भी तब जब हम
अ ानवश इन या को कर ये लाभ पा रहे ह,य द पूरी जानकारी और एका ता के साथ इन
या को पूरे िवधान के साथ कया जाये,तब भला या असंभव रह जायेगा......... जरा
सोिचये......

http://nikhil-alchemy2.blogspot.com/2012/05/surya-tatva-sun-element.html 1/1

Anda mungkin juga menyukai