तूर्यनाद' 17
तू र्यनाद एक राष्ट्रस्तरीर् ह िं दी म ोत्सव ै , हिसका उद्दे श्य रािभाषा ह िं दी एविं भारतीर् सिं स्कृहत के प्रचार प्रसार द्वारा
दे शवाहसर्ोिं में सिं स्कृहत और भाषा से सम्बिं हित हकसी भी प्रकार की ीन भावना का हनराकरण करके राष्ट्रगौरव
एविं आत्मगौरव की भावना हवकहसत कर उनके प्रचलन को सतत बनाए रख कर उनके अस्तस्तत्व का सिं रक्षण
करना ै ।
इसके अिंतगय त प्रहत वषय म ा हवद्यालर्ीन छात्ोिं के हलए अने क राष्ट्रस्तरीर् कार्य क्रम, कार्य शालाएिं एविं कहवसम्मलेन
आहद आर्ोहित ोते ैं । हवगत 5 वषों से सिं पूणय भारत के हवहभन्न प्रहतहित म ाहवद्यालर्ोिं के छात्ोिं ने तू र्यनाद में
आशातीत प्रहतभाहगता दिय करा कर तू र्यनाद के उद्दे श्य को िनमानस तक पहुँ चा कर आर्ोिकोिं का मनोबल
बढ़ार्ा ै ।
र्ु तो तू र्यनाद में कई तर के कार्य क्रम ोते ैं िो की ह िं दी के प्रचार प्रसार के हलए करार्े िते ैं पर मुझे
िो सबसे रोचक कार्य क्रम लगे वो कुछ इस प्रकार के थे –
१ . पररिाहनका
भारत दे श हवहभन्न सिं स्कृहतर्ोिं से पररपूणय एविं सौिंदर्य -समृद्ध दे श ै । र् ाुँ की हभन्न-हभन्न सिं स्कृहतर्ाुँ ी मारे दे श
की प चान ैं । इन सब सिं स्कृहतर्ोिं एविं उनके सौन्दर्य को प्रदहशयत करने े तु स्वदे शी फैशन शो ‘पररिाहनका’
का आर्ोिन हकर्ा िाता ै । पररिाहनका प्रहतर्ोहगता दो चरणोिं में सिं पन्न हई एविं इस वषय पररिाहनका का हवषर्
“भारतीर् कबीलाई व प्रादे हशक सिं स्कृहत रखा गर्ा”
कहमर्ाुँ :-
1. प्रहतभागी, दशयकोिं के अनुशासन ीन व्यव ार से तोत्साह त नज़र आ र े थे|
2. प्रहतभाहगर्ोिं के सिं कालन में कमी नज़र आई|
3. में हगने-चु ने पररिानोिं और सिं स्कृहतर्ोिं के ी दशयन हए|
4. छात्ाओिं की प्रहतभाहगता, छात्ोिं से अहिक थी|
5. दसय कोिं को आकहषयत करने के हलए प्रदशय न के दौरान की प्रकाश और ध्वहन व्यस्था को और सिं सोहित
हकर्ा िा सकता था|
सु झाव:-
6. प्रहतभाहगर्ोिं को पूवाय भ्यास के हलए पर्ाय प्त समर् प्रदान करना चाह ए|
7. में छात्ोिं को प्रोत्साह त करना चाह ए |
8. दसय कोिं के बीच शािं हत बनार्े रखने के हलए, म अपने साहथर्ोिं को दशयकोिं के बीच खड़ा कर सकते ैं |
9. प्रकाश को प्रहतभाहगर्ोिं पर केस्तित करना चाह ए|
२ .छात् सिंसद
हकसी भी लोकतिं त् का स्तिं भ रािनैहतक व प्रशासहनक गहतहवहिर्ाुँ ोती ैं और इसी लोकतिं त् स्तिं भ की आिार-
हशला ैं र्ु वा। र्ु वाओिं को लोकतािं हत्क गहतहवहिर्ोिं से िोड़कर उनमें आत्महवश्वास और सामाहिक मुद्दोिं के प्रहत
हवचारशीलता व िागरुकता हवकहसत करने के उद्दे श्य से ी छात्-सिं सद का आर्ोिन हकर्ा िा र ा ै ।
छात् सिं सद का आर्ोिन हवद्याहथयर्ोिं की दे श एवम् समाि के प्रहत हवचारिारा मागय दहशयत करने े तु , हवचारशीलता
हवकहसत करने के हलए एवम् उनके अिंदर आत्महवश्वास िागृ त करने े तु हकर्ा िाता ै। र् प्रहतर्ोहगता तीन
चरणोिं में सिं पन्न हई। इस प्रहतर्ोहगता में भारत के सभी म ाहवद्यालर्ीन छात्-छात्ाएुँ भाग ले सकते थे। प्रहतर्ोहगता
सिं सदीर् कार्य प्रणाली के तिय पर आर्ोहित की गर्ी। प्रथम चरण में प्रहतभाहगर्ोिं का चर्न वाद-हववाद प्रहतर्ोहगता
द्वारा हकर्ा गर्ा। प्रथम चरण में 250 प्रहतभागी चर्हनत हए। हद्वतीर् चरण में प्रथम चरण के चर्हनत प्रहतभाहगर्ोिं
का प्रहशक्षण हकर्ा गर्ा। उन्हें हवहभन्न पद प्रदान हकर्े गर्े , पक्ष, हवपक्ष एविं वाम दल में बाुँ टा गर्ा। कार्य पाहलका
की कार्य शैली से पूणयतः अवगत करार्ा गर्ा। प्रहतर्ोहगता का तीसरा व अिंहतम चरण सवय पल्ली रािाकृष्णन
सभागार, मौलाना आज़ाद राष्ट्रीर् प्रौद्योहगकी सिं स्थान, भोपाल में आर्ोहित हकर्ा गर्ा। इस चरण के आरिं भ में
प्रहतभाहगर्ोिं के समक्ष एक हविे र्क प्रस्ताहवत हकर्ा गर्ा, हफर चुने हए प्रहतभाहगर्ोिं को हविे र्क पर चचाय करने का
अवसर हदर्ा गर्ा। चचाय के पश्चात् प्रश्न काल एविं शू न्य काल सिं पन्न हए हिसके बाद मतदान हकर्ा गर्ा। इस
चरण में प्रहतर्ोहगता की मुख्य प्रहकर्ा का सिं चालन हकर्ा गर्ा हिसके अिंतगय त क्रमशः हनम्न चरणोिं में प्रहक्रर्ा
सम्पन्न की गर्ी
३ . कवी सम्मेलन
कहव सम्मेलन साह त्य एविं मिंच कला का अदभु त सिं गम ै । तू र्यनाद ’17 में भारत के सु दूर हवहभन्न आिं चहलक
क्षे त्ोिं के हवहभन्न रसोिं एविं िाराओिं के 5 कहवर्ोिं का आगमन हआ ।
खू र्ियााँ
1. र्ु वाओिं एविं अवसर अहभलाषी प्रहतभाओिं को एक बड़े स्तर का मिंच उपलब्ध करार्ा गर्ा ।
2. दशयकोिं का उत्सा एविं अहभरुहच काहबल – ए – तारीफ र ा
3. सम्मेलन में प्रहतस्पिाय अहद्वतीर् र ी ।
4. मिंच सिं चालन एविं कहवर्ोिं का स्तर दशयकोिं दशयकोिं को रोमािं हचत करता र ा ।
5. बड़े स्तर के कहवर्ोिं िैसे मध्यम सक्सेना , अमन अक्षर ने तू र्यनाद के कीहतय मान को एक नर्ा आर्ाम
हदर्ा । कुछ अप्रहतम रचनाओिं ने आर्ोिन को प्रगस्तित करने का अवसर हदर्ा ।
खार्मयााँ
४ . भारत मिंथन
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५ तकहनकी कार्यशाला
रािभाषा ह िं दी कार्ाय न्वन सहमहत मौलाना आिाद राष्ट्रीर् प्रौद्योहगकी सिं स्थान भोपाल द्रारा आर्ोहित र वषय की
भाती गत वषय भी ह िं दी भाषा व् भारत की सिं स्कृहतर्ोिं के प्रचार प्रसार के उद्दे श्य से ह िं दी पखवाड़े में मनार्ा
िाना वाला त्यौ ार तू र्यनाद में तकहनक में ह िं दी की म त्ता और उपर्ोहगता को प्रोत्साह त करने के हलए , ह िं दी
हवहकहमहिर्न समू द्वारा २ हदवसीर् कार्य शाला २८ व् २९ अक्टू बर को र्ािं हत्की अहभर्ािं ररकी हवभाग में आर्ोहित
हकर्ा गर्ा l कार्य शाला का सुभारम्भ सु र्श द्वीवे दी व् स्वहिल करम्बे लकर िी ने ह िं दी हवहकपीहिर्ा के पररचर् से
२८ अक्टू बर प्रातः ९;०० पर की गर्ी l आपको बता दें हक सु र्ाश हद्ववे दी एक भारतीर् हवहकहपहिर्न र ने के
साथ-साथ र्िर्कपरियोजना : िाित के शहि , र्िर्कपरियोजना ;र्हन्दू धमि ि , र्िर्कपरियोजना : र्हन्द की
िे र्टयाां के वतय मान सदस्य भी ैं l इस कार्य शाला में सभी प्रहतभाहगर्ोिं को हवहकपीहिर्ा पर पृि बनाना व् सिं पादन
करने के साथ-साथ सिं पादन व् लेखनी में हनष्पक्षता व् वतय नी पर खास ध्यान दे ने का सु झाव भी हदर्ा l कार्य क्रम
का समापन २९ अक्टू बर को , सभी प्रहतभाहगर्ोिं को रािाकृष्णन सभागार में प्रमाण पत् हवतररत कर के हकर्ा
गर्ा l
सुझाि :-
६ . सामूह क नृत्य
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७ . रचनात्मक लेखन
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कुछ बाते िो हनराशा िनक ैं –
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८ . सामूह क गार्न
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त एक कला ै िो प्राचीन े और अभी भी उभर र ा ै । भारत, सिं स्कृहत में अमीर ोने के नाते , इस कला
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त समृद्ध ै । तू र्यनाद ने बहत ी कुशल तरीके से इस कला को प्रस्तु त हकर्ा और सभी प्रहतभाहगर्ोिं बहत
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प्रहतभावान थे। र् िं ॎ इस आर्ोिन की मेरी हवस्तृ त ररपोटय ै
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त सभी छात्ो को अपनी प्रहतभा सबके सामने पेश करने का मौका हदर्ा गर्ा l
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त बहत से छात्ोिं की तरफ से प्रहतर्ोहगता को लेकर गिं भीरता न ी हदखी
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त प्रहतर्ोहगता िैसे िैसे अिंत पर पहिं च र ी थी, लोगोिं का उत्सा कम ोता हदखाई हदर्ा
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त हकसी अन्य सिं स्थान से हकसी ने भाग न ी िं हलर्ा
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अन्य सिं स्थानोिं के छात्ो को भी मारे म ोत्सव के बारे में िानकारी दे नी चाह ए l इससे में दू सरे सिं स्थान के
छात्ोिं को िानने एविं नए दोस्त बनाने का मौका हमलेगा
९ . सृिन
सृ िन एक 'भारतीर् सिं स्कृहत, हवज्ञान एविं तकनीकी' हवषर् वस्तु पर आिाररत सृ िनात्मक प्रहतर्ोहगता ै । प्रहतभाहगर्ोिं
को हदए गए हवषर् पर रचनात्मकता का प्रर्ोग करते हए अपनी हचत्कारी एविं छार्ाकारी के माध्यम से सबसे
सु न्दर तरीके से भारतीर् हवज्ञान एविं तकनीहक को प्रदहशयत करना ोगा। इस प्रहतर्ोहगता में सवय श्रेि का चर्न कर
प्रदशयनी के द्वारा िनता एविं हनणाय र्कोिं के मत के आिार पर हविेता प्रहवहष्ट्र्ोिं का चुनाव हकर्ा िाएगा।
प्रथम चरण ऑनलाइन आर्ोहित हकर्ा िाएगा हिसमें प्रहतभाहगर्ोिं को हवषर् पर आिाररत अपनी प्रहवहष्ट्र्ाुँ
ऑनलाइन हदनािं क 10 अक्टू बर से 23 अक्टू बर तक भे िनी ोिंगी। हिसमें आपकी प्रहवहष्ट् के साथ आपका नाम,
तू र्यनाद टोकन क्रमािं क, सिं स्था का नाम (ऐस्तच्छक), श्रेणी : सृ िन – हचत्कला/छार्ाकारी ोना चाह ए। इस
प्रहतर्ोहगता में दो वगों में प्रहवहष्ट्र्ाुँ आमिंहत्त ैं :
छार्ाकारी(photography) - अपनी छार्ाकारी का एक नमूना ऑनलाइन प्रहवहष्ट् हनम्न माध्यमोिं द्वारा भे िी िा सकती
ै : अणु िाक-tooryanaad@gmail.com पर मेल कर सकते ै फेसबु क हलिंक-
www.facebook.in/tooryanaad
चर्न-
हनणाय र्कोिं द्वारा दोनो वगों से शीषय 3 प्रहवहष्ट्र्ोिं का चर्न अगले चरण के हलए हकर्ा िाएगा।
पररणाम-
नोट-
1.एक प्रहतभागी एक से अहिक श्रेहणर्ोिं में प्रहतभाग कर सकता ै एविं एक से अहिक प्रहवहष्ट्र्ाुँ भी भे ि सकता
ै।
2.अिंहतम चरण के हलए चर्हनत प्रहतभाहगर्ोिं को व्यस्तिगत रूप से अपनी प्रहवहष्ट् को प्रदशयनी प्रस्तु त करने र्ोग्य
रूप में 26 अक्टू बर तक लानी ोगी।