820 30′ पू र्वी दे शांिर का उपयोग भारिीय मानक समय चक्र को तनिााररि करने
के तलए तकयाजािा है ।
भारतवर्ष आकार (क्षेत्रफल) में ववश्व का – सािर्वां सबसे बडा दे श है ।
भारत का क्षेत्रफल संसार के क्षेत्रफल का 2 पॉइं ट 4% है , परं तु इसकी जनसंख्या है –
17.5% (जनगणना, 2011 के अनुसार)
भारतवर्ष में गां व की संख्या है – लगभग 6 लाख 40 हजार 9 सौ 30 (जनगणना,
2011 के अनुसार)
भारत ववस्तृत है –
804′ उि्िर से 3706′ उि् िरी अक्षांशों िथा 6807′ पू र्वा से 97025′ पू र्वी दे शांिरों केमि्
य।
भारत के लगभग बीचो बीच से होकर गुजरती है – कका रे खा
ककष रे खा वकन राज्ों से होकर गुजरती है –
गु जराि, राजस्थान, मध्य प्रदे श, झारखंड, छत्तीसगढ़, पतिम बंगाल, तत्रपु रा,
तमजोरम
भारत में ककष रे खा गुजरती है – 8 राज्ों से
अगरतला, गां धीनगर, जबलपुर एवं उज्जैन में से ककष रे खा से वनकटतम दू री पर स्थथत
नगर है – गांिीनगर
वदल्ली, कोलकाता, जोधपुर तथा नागपुर शहरों में से ककष रे खा के वनकट है –
कोलकािा
भारत को दो लगभग बराबर भागों में ववभावजत करने वाला अक्षां श है –
23030′ उत्तरी अक्षांश ( ककारे खा)
झारखंड, मविपुर, वमजोरम तथा वत्रपुरा राज्ों में से ककष रे खा के उत्तर में स्थथत
भारतीय राज् है – मतणपु र
है दराबाद, चेन्नई, भोपाल तथा वदल्ली शहरों में से जू न माह में वदन की अववध
अवधकतम होगी – तदल्लीमें
गुजरात के सबसे पविमी गां व और अरुिाचल प्रदे श के सबसे पूवी छोर पर स्थथत वाला
उनके समय में वकतने घंटे का अंतराल होगा – 2 घंटे का
आं ध्र प्रदे श, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदे श राज् में से भारतीय मानक समय की
याम्योत्तर नहीं गुजरती है – महाराष्ट्र से
भारतीय मानक समय की दे शां तर रे खा (820 30′) गुजरती है – इलाहाबाद से
भारत की प्रामाविक मध्यान्ह रे खा कहलाती है – 820 30′ पू र्वी दे शांिर
भारतीय मानक समय (IST) एवं ग्रीनववच माध्य समय (GMT) मैं अंतर पाया जाता है –
±5.30 घंटेका
यवद अरुिाचल प्रदे श में वतरप (Tirap) मैं सूयोदय00 बजे प्रातः (IST) होता है , तो
गुजरात में कां डला में सूयोदय होगा – लगभग 7.00 बजे प्रािः
भारत का सुदूर दवक्षिी वबंदु (Southernmost Point) है – इं तदरा पॉइं ट पर
भारत का दवक्षितम वबंदु स्थथत है – बडा तनकोबार ( ग्रे ट तनकोबार) में
भरत के राज्ों में सबसे पूवी और सबसे पविमी राज् को इं वगत करता है –
क्रमशः अरुणाचल प्रदे श औरगु जराि
भारत का सुदूर पविम का वबंदु है – 680 7′ पूर्वा ( गौर मोिा) गु जराि में
मेघालय, वत्रपुरा, मविपुर तथा वमजोरम राज्ों में से वह राज् दे श की सीमा बां ग्लादे श
से नहीं वमलती है – मतणपु र
बां ग्लादे श की सीमा से लगे भारत के राज् हैं –
मेघालय, असम, पतिम बंगाल, तत्रपु रा एर्वं तमजोरम
वसस्िम, मेघालय, अरुिाचल प्रदे श तथा पविम बंगाल राज् में से भूटान के साथ
सीमा नहीं वमलती है – मेघालय की
वह भारतीय राज् वजसकी अवधकतम सीमा म्यां मार से स्पशष करती है –
अरुणाचल प्रदे श
म्यां मार से घवनष्ठ की सीमा नहीं है – असम की
पावकस्तान से सीमा बनाने वाले भारतीय राज् हैं –
पं जाब, जम्मू एर्वं कश्मीर, राजस्थान िथा गु जराि
नेपाल के पडोसी भारतीय राज् हैं –
उत्तराखंड, उत्तर प्रदे श, तबहार, पतिम बंगाल एर्वं तसक्किम
भारत के साथ सबसे लंबी थथलीय सीमा है – बांग्लादे श की
असम, नागालैं ड, मेघालय एवं वमजोरम राज्ों में से बां ग्लादे श से अपनी सीमा नहीं
बनाने वाला भारतीय राज् है – नागालैंड
भारत तथा पावकस्तान के बीच सीमा वनधाष ररत की गई थी – रे डक्किफ रे खा द्वारा
डूरं ड लाइन भारत की सीमा वनधाष ररत करती है – अफगातनस्तान से
भारत तथा पावकस्तान के मध्य सीमा रे खा एक उदाहरि है – परर्विी सीमा का
भारत और चीन की उत्तर-पूवष सीमा का सीमां कन करने वाली रे खा है –
मैक मोहन रे खा
भारत-श्रीलंका से अलग होता है – पाक जलडमरूमध्य द्वारा
नेपाल, भूटान एवं चीन की सीमा से वमलने वाला भारतीय राज् है – तसक्किम
तीन तरफ से अंतरराष्ट्रीय सीमाओं ( बां ग्लादे श) से वघरा भारतीय राज् है – तत्रपु रा
भारत से उपबंध पुराचुंबकीय पररिामों से संकेत वमलते हैं वक भूतकाल में भारतीय थथल
वपंड सरका है – उत्तर की ओर
भारतीय उपमहाद्वीप मूलतः एक ववशाल भूखंड का भाग था, वजसे कहते हैं –
गोंडर्वाना लैं ड
भारत ववभावजत है – 4 प्राकृतिक प्रदे शों में
उत्तराखंड में पाताल तोड कुए पाए जाते हैं – िराई क्षेत्र में
यवद वहमालय पवषत श्रेवियां नहीं होती, तो भारत पर सवाष वधक संभव भौगोवलक प्रभाव
है –
दे श केअतिकांश भाग में साइबेररया से आने र्वाली शीि लहरों का अनुभर्व होिा,
तसंिु–
गं गा मैदान इिनी तर्वस्तृ िजलोढ़ मृदा से र्वंतचि होिा, मानसून का प्रतिरूप र्विा मा
न प्रति रूप से तभन्न होिा।
भारत के पविम समुद्र तट का वनमाष ि हुआ है –
भूतम के उत्थान एर्वं तनगा मन के कारण
सही सुमेलन है – दक्कन टर ै प – तक्रटे तशयस-आतद नूिन, पतिमी घाट – उि् िर
नूिन, अरार्वली – प्री-कैक्कियन, नमादा-िाप्िी जलोढ़ तनक्षेप –अि्यन्ि नूिन
केरल का कुट्टानाड या कुट्टानाडु प्रवसद्ध है –
भारि के न्यूनिम ऊंचाई र्वाले क्षेत्र के रूप में, इसे केरल का ‘ िान का कटोर‘
कहा जािा है । FAO द्वारा इसे र्वैतिक महत्वपूणा कृति तर्वरासि प्रणाली (GIAHS)
घोतिि तकया गया है।
वहमालय की रचना समां तर वाले श्रेवियों से हुई है , वजस में से प्राचीनतम श्रेिी है –
र्वृहि तहमालय श्रेणी
उत्तर भारत के उप वहमालय क्षेत्र के सहारे फैले समतल मैदान को कहा जाता है –
भार्वर
वहमालय का पवषत पदीय प्रदे श है – तशर्वातलक
वशवावलक पहावडयां वहस्सा है – तहमालय का
वशवावलक श्रेिी का वनमाष ि हुआ – सेनोजोइक (प्लायोसीन) युग में
वशवावलक श्रेवियों की ऊंचाई है – 850-1200 मीटर के मध्य
उत्तराखंड, उत्तर प्रदे श, वसस्िम एवम वहमाचल प्रदे श में से वहमालय पवषत श्रेवियां
वहस्सा नहीं है – उत्तरप्रदे श का
वहमालय के तरुि ववलत पवषत ( नवीन मोडदार पवष) के साक्ष्य कहां जा सकते हैं –
गहरे खड्ड,
U घुमार्वर्वाले नदी मागा , समानांिर पर्वाि श्रेतणयां, भूस्खलन के तलए उत्तरदाई िी
व्र ढाल प्रर्वणिा
लघु वहमालय स्थथत है – तशर्वातलक और महान तहमालय के मध्य में
पविमी भाग में वहमालय की श्रेवियों का दवक्षि से उत्तर की ओर सही क्रम है –
तशर्वातलक–लघु तहमालय–महान तहमालय
सबसे नवीन पवषत श्रेिी है – तशर्वातलक
दवक्षि भारत में नवीनतम चट्टान प्रिाली है – गोंडर्वाना
उच्चावच आकृवतयों का दवक्षि से उत्तर की ओर बढ़ते हुए सही क्रम है –
िौलािर, जास्कर, लद्दाख औरकाराकोरम
वहमालय में उत्तर वदशा की ओर के क्रम वाली पवषत श्रेिी है –
पीर पं जाल पर्वाि श्रेणी, जास्कर पर्वािश्रेणी, लद्दाख पर्वाि श्रेणी, काराकोरम पर्वाि
श्रेणी
वहमालय में पूवष से पविम की ओर पवषत वशखरों का सही क्रम है –
कंचनजंगा, एर्वरे स्ट, अन्नपू णाा, िौलातगरी
पूवी वहमालय की तु लना में टर ी- लाइन का ऊंचाई मान पविमी वहमालय में होता है –
कम
वहमालय की पहाडी श्रृंखला में ऊंचाई के साथ साथ इन कारिों से वनस्पवत में पररवतष न
आता है – िापमान में तगरार्वट, र्विाा में बदलार्व, तमट्टी का अनुपजाऊ होना।
उत्पवत्त की दृवष्ट् से सबसे नवीनतम पवषत श्रेिी है – पटकाई श्रेणीयां (तहमालय)
नागालैं ड, वत्रपुरा, मविपुर एवं वमजोरम राज्ों में से पटकाई पहावडयों से संलग्न नहीं है –
तत्रपु रा
पीर पंजाल श्रेिी पाई जाती है – जम्मू एर्वं कश्मीर में
कश्मीर घाटी स्थथत है – र्वृहि तहमालय और पीर पं जाल श्रेतणयों के मध्य
अक्साई चीन का भाग है – लद्दाख पठार
पविमी वहमालय संसाधन प्रदे श के प्रमुख संसाधन है – र्वन
ग्रेट वहमालय की ऊंचाई है – 8850 मी. ए.एस.एल. (8848 मी.)
वहमाचल पयाष यवाची है – मध्य तहमालय का
भारत में सबसे प्राचीन पवषत श्रंखला है – अरार्वली
राजथथान, वहमाचल प्रदे श, ओवडशा एवं आं ध्र प्रदे श राज्ों में से अरावली श्रेवियों स्थथत
है – राजस्थान में
अरावली श्रेवियों की अनुमावनत आयु है – 570 तमतलयन र्विा
‘रे जीड्युल पवषत’ का उदाहरि है – अरार्वली
दवक्षि भारत की सबसे ऊंची चोटी है – अन्नाईमुडी
भारतीय प्रायद्वीप की सबसे ऊंची चोटी है – अन्नाईमुडी
नमषदा एवं ताप्ती नवदयों के मध्य स्थथत है – सिपु डा श्रेणी
उत्तर से शु रू कर दवक्षि की ओर पहावडयों का सही अनुक्रम है –
नल्लामलाई पहातडयां – जर्वादीपहातडयां – नीलतगरर पहातडयां –
अन्नामलाई पहातडयां
पूवी घाट और पविमी घाट वमलते हैं – नीलतगरी पहातडयों में
कनाष टक, केरल एवं तवमलनाडु राज् के वमलन थथल पर स्थथत है –
नीलतगरर पहातडयां
नीलवगरर पवषत स्थथत है – केरल, कनााटक एर्वं ितमलनाडु राज् में
भारतीय समुद्र शास्ियों ने अरब सागर के तल में, मुंबई से पविम दवक्षि पविम में
लगभग 455 वकलोमीटर दू र, एक नए 1505 मीटर ऊंचे पवषत की खोज की है । इस
पवषत का नाम रखा गया है – रमन सागर पर्वाि
अरावली, सतपुडा, अजं ता और सह्याद्री पवषत श्रेवियों में से वह जो केवल एक ही राज्
में ववस्तृत है – अजंिा पर्वाि श्रेणी ( महाराष्ट्र)
महाराष्ट्र, कनाष टक एवं गोवा में पविमी घाट कहलाते हैं – सहयाति
पहावडयों का दवक्षि से उत्तर की ओर बढ़ते हुए सही अनुक्रम है –
सिमाला पहाडीयां, पीर पं जाल श्रेणी, नागा पहातडयां, कैमूर पहातडयां
काडाष मम पहाडी या वजन राज्ों की सीमाओं पर स्थथत है , वह है –
केरल एर्वं ितमलनाडु
शे वराए पहावडया अवस्थथत है – ितमलनाडु में
बालाघाट श्रेिी, हररिं द्र श्रेिी, मां डव पहाडी तथा सतमाला पहावडयों में से महाराष्ट्र में
स्थथत नहीं है – मांडर्व पहातडयां
महादे व पहावडयां भाग है – सिपु डा पर्वाि श्रेणी का
धूपगढ़ चोटी स्थथत है – सिपु डा रें ज में
रामवगरी की पहावडयां भाग है – पू र्वी घाट या महें ि पर्वाि का
माउं ट एवरे स्ट स्थथत है – नेपाल में
सबसे ऊंचा पवषत वशखर है – माउं ट एर्वरे स्ट
प्रथम भारतीय नारी जो एवरे स्ट वशखर पर चढ़ने में सफल हुई थी – बछें िी पाल
माउं ट एवरे स्ट वशखर पर चढ़ने वाली पहली मवहला थी – जुंको िाबेई
दो बार माउं ट एवरे स्ट पर ववजय प्राप्त करने वाली मवहला पवषतारोही है –
संिोि यादर्व
एवरे स्ट पर चढ़ने वाली दू सरी भारतीय मवहला है – संिोि यादर्व
भारत की सवोच्च पवषत चोटी है – K2 गॉडतर्वन ऑक्कस्टन
वहमालय की ऊंची चोटी कंचनजं गा स्थथत है – नेपाल एर्वं तसक्किम में
नंदा दे वी चोटी – गढ़र्वाल तहमालय का भाग है ।
नंदा दे वी वशखर स्थथत है – उत्तराखंड में
गुरु वशखर पवषत चोटी अवस्थथत है – राजस्थान में
अरावली का उच्चतम वशखर है – गुरु तशखर
वहमालय की चोवटयों का पूवष से पविम वदशा में सही क्रम है –
नमचा बरर्वा, कंचनजंगा, माउं ट एर्वरे स्ट, नंदा दे र्वी
गोसाई थान, कॉमेट, नं दा दे वी एवं वत्रशूल पवषत वशखरों में से भारत में स्थथत पवषत
वशखर नहीं है – गोसाई थान
कुल्लू घाटी वजम पवषत श्रेिी के बीच अवस्थथत है , वह है – िौलािार िथा पीर पं जाल
नेलां ग घाटी स्थथत है – उत्तराखंड राज् में
मरखा घाटी स्थथत है – जम्मू और कश्मीर में
जु कू घाटी स्थथत है – नागालैं ड में
सां गला घाटी अवस्थथत – तहमाचल प्रदे श में
यूथां ग घाटी अवस्थथत है – तसक्किम में
पालघाट स्थथत है – नीलतगरी और अन्नामलाई पहातडयों के मध्य
भोर घाट स्थथत है – महाराष्ट्र में
वलपुलेख दराष स्थथत है – उत्तराखंड में
ले ह जाने का रास्ता है – जोतजला दरे से
नाथू ला दराष स्थथत है – तसक्किम में
वर्ष 2006 के लगभग मध्य में भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ाने के वलए पुनः
खोला गया – नाथूला दराा
मां िा पहाडी दराष – उत्तराखंड राज् में अर्वक्कस्थि है ।
जोवजला पहाडी दराष – जम्मू एर्वं कश्मीर में अर्वक्कस्थि है ।
बवनहाल दराष – जम्मू एर्वं कश्मीर में अर्वक्कस्थि है ।
नाथू ला दराष वसस्िम में अवस्थथत है जबवक नीवत दराष – उत्तराखंड में
बुम ला दराष – अरुणाचल प्रदे श में
जे लेप ला दराष – तसक्किम में
मुवलं ग ला दराष – उत्तराखंड में
वशपकी ला दराष – तहमाचल प्रदे श में अर्वक्कस्थि है ।
रोहतां ग दराष स्थथत है – तहमाचल प्रदे श में
माना दराष स्थथत है – उत्तराखंड में
पवषती दलों का पविम से पूवष का सही क्रम है –
तशपकी ला, तलपू लेख, नाथूला, बोमतड ला
वहमालय में वहम रे खा है – 4300 से 6000 मीटर के बीच पू र्वा में
सबसे बडा वहमनद है – तसयातचन
चोरा वाली ग्लेवशयर स्थथत है – केदारनाथ मंतदर के उत्तर में
वहमालय के वहमनद के वपघलने की गवत – सबसे अतिक है ।
उत्तराखंड के कुमाऊं प्रक्षेत्र में अवस्थथत वहमनद है – तमलाम तहमनद
भारत के दिन के पठार पर बेसाल्ट वनवमषत लावा शै लों का वनमाष ि हुआ है –
तक्रटे तशयस युग में
मेघालय का पठार भाग है – प्रायद्वीपीय खंड का
भारत के अवतररक्त प्रायद्वीपीय पवषत वनवमषत हुए – पै तलयोजोइक महाकल्प में
छोटा नागपुर पठार का सवाष वधक घना बसा वजला धनबाद है –
खनन उद्योग का तर्वकास िथाऔद्योतगकीकरण के कारण
छोटा नागपुर पठार है – एक अग्र गं भीर
मालवा का पठार, छोटा नागपुर का पठार, दिन का पठार तथा प्रायद्वीप का पठार में
से अरावली एवं ववंध्य श्रृंखलाओं के मध्य स्थथत पठार है – मालर्वा का पठार
दं डकारण्य क्षेत्र अवस्थथत है – छत्तीसगढ़ एर्वं ओतडशा में
दं डकारण्य भारत में स्थथत है – मध्यर्विी क्षेत्र में
भारत का औसत समुद्र तल मापा जाता है – चेन्नई िट से
भारत के प्रादे वशक जल क्षेत्र का ववस्तार है – िट से 12 समुिी मील िक
भारत की तट रे खा की कुल लंबाई है – लगभग 7500 तकलोमीटर
भारत में सबसे अवधक लं बा समुद्री तट है – गुजराि राज् का
भारत में तटरे खा से लगे राज् हैं – 9
प्राचीन भारतीय इवतहास भूगोल में ‘ रत्नाकर’ नाम सूचक था – तहं द महासागर का
भारतवर्ष के पविम पट्टी शहरों कन्नूर, नागरकोइल, जं जीरा एवं वसंधुदुगष का उत्तर से
दवक्षि सही क्रम है – जंजीरा, कन्नूर, नागरकोइल, तसंिुदुगा
तवमलनाडु और आं ध्र प्रदे श के तट का नाम है – कोरोमंडल
भारत के तत्ों में कृष्णा डे ल्टा एवं क्रेप कॉमोररन के मध्य स्थथत है – कोरोमंडल िट
‘केप कॉमोररन’ के नाम से भी जाना जाता है – कन्याकुमारी
अंडमान और वनकोबार दीप समूह के सवोच्च वशखर ‘पल्याि वशखर” (सैंडलपीक)
स्थथत है – उत्तरीअंडमान में
अंडमान और वनकोबार द्वीपसमूह स्थथत है – बंगाल की खाडी में
अंडमान वनकोबार दीप समूह में द्वीपों की संख्या है – 200
10 वडग्री चैनल पृथक करता है – अंडमान और तनकोबार द्वीप से
बैरन द्वीप अवस्थथत है – बंगाल की खाडी में
भारत के पविमी तटीय मैदान के उत्तरी भाग को वकस अन्य नाम से भी जाना जाता
है , वह है – कोंकण
भारत का वह दे श वजसका उद्गम ज्वालामुखीय है – बैरन द्वीप का
श्रीहररकोटा द्वीप अवस्थथत है – पु तलकट झील के समीप
रामसेतु (Adam’s Bridge) शु रू होता है – िनुष्कोडी से
लक्षद्वीप स्थथत है – अरब सागर में
भारत का प्रवाल द्वीप है – लक्षद्वीप
लक्षद्वीप टापू अवस्थथत है – दतक्षण पतिम भारि में
दीपों का समूह लक्षद्वीप है – प्रर्वाल उत्पतत्त का
लक्षद्वीप में है – 36 द्वीप
भटकल, अनाषला, वमनीकॉय एवं हे नरी द्वीपों में से भारतीय तटरे खा के सुदूरवती द्वीप
की श्रेिी में आता है – तमतनकॉय द्वीप
भारत एवं श्रीलं का के मध्य स्थथत द्वीप है – रामेिरम
एक दीप पर वनवमषत भारत का बडा नगर है – मुंबई
भारत का सवाष वधक आबादी वाला द्वीप है – सालसेि
कोरी क्रीक (वनवेवशका) अवस्थथत है – कच्छ के रण में
सर क्रीक वववाद है – भारि–पातकस्तान दे शों के मध्य
लातू र वजला है – महाराष्ट्र में
ववदभष प्रादे वशक नाम है भारत में, और यह अंग है – महाराष्ट्र का
पाट अंचल (Pat Region) अवस्थथत है – झारखंड में
झुमरी तलै या (रे वडयो पर गीतों की फरमाइश के वलए प्रवसद्ध) स्थथत है – झारखंड में
‘ भारत का कोवहनूर’ कहा जाता है – आं ध्र प्रदे श को
मविपुर का अवधकां श धरातल है – पर्वािीय
मविपुर में कुछ लोग लटकी हुई गाद (Silt) से बंधे अपतृ ि (Weeds) और सडती
वनस्पवत के तै रते हुए द्वीपों (Floating Island) पर बने हुए मकानों में रहते हैं , इन द्वीपों
को कहते हैं – फूमतड
भारत में वसवलकॉन स्टे ट के नाम से जाना जाता है – कनााटक को
भारत में वसवलकॉन वैली स्थथत है – बेंगलु रु में
वदल्ली के अवतररक्त राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सस्िवलत है –
हररयाणा, उत्तर प्रदे श एर्वं राजस्थान के भाग(उपक्षेत्र)
मध्य प्रदे श की सीमा लगी है –
पांच राज्ों से गु जराि, राजस्थान, उत्तर प्रदे श, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र
क्षेत्रफल के क्रम में भारत के 4 बडे राज् हैं –
राजस्थान, मध्य प्रदे श, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदे श
भारत के समस्त राज्ों के क्षेत्रफल अनुसार उत्तर प्रदे श का थथान है – चौथा
भारत के राज्ों वहमाचल प्रदे श, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड का उनके क्षेत्रफल
के अवरोही क्रम में सही क्रम है –
छत्तीसगढ़, झारखंड, तहमाचल प्रदे श, उत्तराखंड
कनाष टक, राजथथान, तवमलनाडु एवं महाराष्ट्र उनके भौगोवलक क्षेत्र के अनुसार घटता
क्रम है – राजस्थान, महाराज, कनााटक, ितमलनाडु
उत्तर प्रदे श, मध्य प्रदे श, राजथथान एवं उत्तराखंड राज् में क्षेत्रफल में सबसे छोटा है –
उत्तराखंड
भारत का लगभग 30% क्षेत्र 3 राज्ों में समावहत है । यह तीन राज् हैं –
राजस्थान, मध्य प्रदे श एर्वंमहाराि्टर
भारत में जनसंख्या के अनुसार, तीसरा एवं क्षेत्रफल में 12 राज् है – तबहार
उत्तर प्रदे श के सीमावती राज् हैं –
तहमाचल प्रदे श, हररयाणा, राजस्थान, मध्य प्रदे श, छत्तीसगढ़, झारखंड, तबहा
र एर्वं उत्तराखंड िथा केंि शातसि प्रदे श तदल्ली
असम वगरा हुआ है – 7 राज्ों से
महाराष्ट्र, वबहार, उडीसा एवं आं ध्र प्रदे श में से छत्तीसगढ़ की सीमा उभयवनष्ठ नहीं है –
तबहार के साथ
वदल्ली, जोधपुर, नागपुर एवं बेंगलु रु में से मध्य समुद्र तल से उचाई अवधकतम है –
बेंगलुरु की
राजथथान के मरू क्षेत्र के वलए सही कथन है –
यह तर्वि का सबसे घना बसा मरुस्थल है , यह लगभग10000 र्विा पुराना है । इस
का कारण अत्यतिक मानर्वीय हस्तक्षेप रहा है । यहां केर्वल 40 से 60% क्षेत्र ही
कृति हे िु उपयुक्त है , शुद्ध बोए गए क्षेत्र में र्वृक्कद्ध के कारण चारागाह क्षेत्र के तर्व
स्तार पर प्रभार्व पडाहै।
उत्तर पू वी राज्ों की ‘ सात बहनों’ का भाग नहीं है – पतिम बं गाल
वर्ष 1953 में , जब आं ध्र प्रदे श एक अलग राज् बना, तब उसकी राजधानी थी –
कुरनूल
सबसे अवधक वजले हैं – उत्तर प्रदे श में
4 दवक्षिी राज् आं ध्र प्रदे श, कनाष टक, केरल और तवमलनाडु में से सबसे अवधक
भारतीय राज्ों के साथ सीमावती है – आं ध्र प्रदे श और कनााटक में से प्रत्येक
ते लंगाना राज् की सीमा बनाता है – आं ध्र प्रदे श, कनाा टक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़
मविपु र की राजधानी है – इम् फाल
गु जरात की राजधानी है – गांिीनगर
राजथथान की राजधानी है – जयपु र
अरुिाचल प्रदे श की राजधानी है – ईटानगर
भारत के 29वें राज् ते लंगाना की राजधानी है – है दराबाद
वमजोरम की राजधानी है – आइजोल
चंडीगढ़, भुवनेश्वर, बेंगलु रु एवं गां धीनगर में से सुवनयोवजत राजधानी नगर नहीं है –
बेंगलुरु
भारत में केंद्र शावसत राज्ों की संख्या है – 7
भारत का सबसे बडा संघ राज् है – तदल्ली
भारत का सबसे छोटा केंद्र शावसत क्षेत्र है – लक्षद्वीप
पां वडचेरी का क्षेत्र / पाया जाता है – ितमलनाडु , केरल एर्वं आं ध्र प्रदे श राज् में
वत्रपुरा, दमन एवं दीव, लक्षद्वीप एवं पुडुचेरी में से केंद्र शावसत क्षेत्र नहीं है – तत्रपु रा
दमन और दीव के बारे में सत्य कथन है –
दमन और दीर्व के बीच खंभाि की खाडी है। इसकी राजिानीदमन है ।
वसलवासा राजधानी है – दादरा एर्वं नगर हर्वेली की
भारत के केंद्र शावसत प्रदे श है –
तदल्ली, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, दादरा एर्वं नगर हर्वेली, पु डुचेरी, अंडमानएर्वं तन
कोबार द्वीपसमूह िथा दमन र्व दीर्व।
” यह पीले विष के, वतयषक नेत्र, उठी हुई कपोल अस्थथ, छु टपुट केश और मध्यम
ऊंचाई वाले व्यस्क्त होते हैं ।” इसका संदभष है – मंगोलायड जनों से
उत्तर पूवी भारत के पहाडी एवं जंगली क्षेत्रों में प्रजातीय समूह पाया जाता है –
मंडोलायड
प्रोटो-ऑस्टरेलॉयड प्रजावत से संबंवधत भारतीय जनजावत है – संथाल
राज् वजसमे जनजातीय समुदाय की पहचान नहीं की गई है , वह है – हररयाणा
वह जनजावत वदवाली को शोक का त्यौहार मानती है – थारु
थारू लोगों का वनवास है – उत्तर प्रदे श में
संथाल वनवासी हैं – पू र्वा भारि के
ऋतु प्रवास वक्रया करते हैं – भूतटया
बोडो वनवासी (Inhabitants) है – गारो पहाडी के
गारो जनजावत है – मेघालय, असम एर्वं तमजोरम की
‘ खासी’ एवं ‘ गारो’ भार्ा बोलने वाली जनसंख्या पाई जाती है –
मेघालय, असम एर्वं तमजोरम राज्ों में
चेंचू, ले प्चा, डफला एवं डाफर जनजावतयों में से केरल में पाई जाने वाली जानजावत
है – चेंचू
भारत की सबसे बडी जनजावत है – भील जनजाति
टोडा एक जनजावत है जो वनवास करती है – नीलतगरी की पहातडयों पर
एक जनजावत, जो सरहुल त्यौहार मनाती है – मुंडा
उत्तराखंड की सबसे बडी अनुसूवचत जनजावत है – जौनसारी
वमजोरम में बस्ती संरूप मुख्यतः कटकों के साथ साथ ‘रै स्खक-प्रवतरूप’ का है
क्ोंवक – घातटयां कटकोंकी अपेक्षा ठं डी है ।
भील जनजावत पाई जाती है – महाराष्ट्र, गु जराि, राजस्थान एर्वं मध्य प्रदे श में
बहुपवतत् की प्रथा मनाई जाती है –
जौनसारी, टोडा, खस, कोटा, बोटा, तिर्वान, इरार्वा एर्वं नायरजनजातियों में
सहररया जनजावत के लोग, जो हाल में चचाष में थे , वनवासी हैं – राजस्थान के
भारत में जनजावतयों के वनधाष रि का आधार है –
सांस्कृतिक तर्वशेिीकरण और तर्वतभन्न आर्वास
भारत के चाग्पा समुदाय के संदभष में सही कथन है –
र्वे अच्छे तकस्म का ऊन दे ने र्वाली पश्मीना बकरीबकररयों को पालिे हैं । उन्हें
अनुसूतचि जनजातियों की श्रेणी में रखा जािा है ।
‘लोहासुर’ को अपने दे वता मानती है – अगररया जनजाति
शोंपेन जनजावत पाई जाती है – तनकोबार द्वीप समूह में
केंद्र शावसत प्रदे शों में से औंज जनजावत के लोग रहते हैं – अंडमान और तनकोबार
द्वीप समूह में
जारवा जनजावत के लोग, जो हाल में चचाष में रहे , वनवासी हैं –
अंडमान तनकोबार के
भारत के सवाष वधक आद्य जनजावत है – जारर्वा
मंगावनयार के नाम से जाना जाने वाले लोगों का समुदाय –
पतिमोत्तर भारि में अपनी संगीि परं परा केतलए तर्वख्याि है ।
झूवमंग करते हैं – खासी जनजाति के लोग
भारतीय उपमहाद्वीप में बोली जाने वाली भार्ाओं में बोलने वालों की सवाष वधक संख्या
के आधार पर वहं दी के बाद नंबर आता है – बांग्ला भािा का
आस्स्टर क समूह की भार्ा है – खासी
भारत का सबसे बडा भार्ाई समूह है – इं डो आयान
गंगा नदी उदाहरि है – पू र्वार्विी अपर्वाह का
बां ग्लादे श में गंगा नदी को पुकारा जाता है – पद्मा
सुंदरबन डे ल्टा का वनमाष ि करने वाली नवदयां है – गंगा और ब्रह्मपु त्र
गंगा की जलोढ़ मृदा की गहराई भूवम सतह के नीचे लगभग –
6000 मीटर िक होिी है ।
सत्य कथन है –
दे र्वप्रयाग, अलकनंदा एर्वं भागीरथी नदी के संगम पर क्कस्थि है । रुिप्रयाग, अल
कनंदा एर्वंमंदातकनी नदी के संगम पर अर्वक्कस्थि है । अलकनंदा नदी पति नाथ
से बहिी है ।
अलकनंदा तथा भागीरथी का संगम होता है – दे र्वप्रयाग में
मंदावकनी नदी जल प्रवाह अथवा मुख्य नदी संबंवधत है – अलकनंदा से
केदारनाथ से रुद्रप्रयाग के मध्य बहती है – मंदातकनी नदी
वह नदी का तट वजस पर बद्रीनाथ का प्रवसद्ध मंवदर स्थथत है – अलकनंदा
भारत की सबसे बडी वाह नदी है – गं गा
भागीरथी नदी वनकलती है – गोमुख से
गंगा नदी की एकमात्र सहायक नदी वजसका उद्गम मैदान में से है – गोमिी
बेतवा, चंबल, केन तथा रामगंगा नवदयों में से यमुना की सहायक नदी नहीं है –
राम गं गा
यमुना नदी का उद्गम थथान है – बंदरपूं छ चोटी
बेतवा नदी वमलती है – यमुना से
गंगा वक वह सहायक नदी जो उत्तरवावहनी है – सोन
गंगा नदी में बाएं से नहीं वमलती है – सोन नदी
यमुना और सोन के मध्य जलवद्वभाजक का कायष करने वाली श्रेिी है – कैमूर श्रेणी
वतब्बत में उत्पवत्त पाने वाली ब्रह्मपुत्र, इरावती और मेकां ग नवदयां अपने ऊपरी पौधों
में संकरि और समां तर पवषत श्रेवियों से होकर प्रवावहत होती है । इन नवदयों में
ब्रम्हपुत्र भारत में प्रववष्ट् होने से ठीक पहले अपने प्रवाह में यू टनष ले ती है । यह यू टनष
बनता है – भूर्वैज्ञातनक तक िरुण तहमालय के अक्षसंघीय नमनके कारण
भारत में ‘यरलूं ग जं गबो नदी’ को जाना जाता है – ब्रम्हपु त्र नाम से
वतब्बत में मानसरोवर झील के पास वजस नदी का स्रोत है वह है –
ब्रम्हपु त्र, सिलज, तसंिु
अरुिाचल प्रदे श से होकर बहने वाली नवदयां है – रोतहि और सुबनतसरर
मानस नदी सहायक नदी है – ब्रम्हपु त्र की
ब्रह्मपुत्र नदी वतब्बत में जानी जाती है – सांग्पो नाम से
ब्रह्मपुत्र नदी का बहाव क्षेत्र है – तिब्बि, बांग्लादे श, भारि
ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी है / नवदयां है – तदबांग, कमेंग, लोतहि
वह नवदयां वजनका स्रोत वबंदु लगभग एक ही है – ब्रम्हपु त्र और तसंिु
नमषदा नदी पविम की ओर बहती है , जबवक अवधकां श अन्य प्रायद्वीपीय बडी नवदयां
पूवष की ओर बहती है , क्ोंवक –
यह एक रे खीय तर्वभ्रंश (ररफ्ट) घाटी में तर्वस्तृ ि है ।
नमषदा घाटी चीन पवषत श्रृंखलाओं के बीच स्थथत है वह है – तर्वंध्य और सिपु डा
भारत की पविम की ओर बहने वाली नवदयां जो डे ल्टा का वनमाष ि नहीं करती है –
नमादा िाप्ती पे ररयार
कृष्णा, गोदावरी, ताप्ती एवं कावेरी नवदयों में से वह नदी जो डे ल्टा का वनमाष ि नहीं
करती है – नमादा, िाप्ती, पे ररयार
अमरकंटक से उद्गम होता है – नमादा नदी का
नमषदा घाटी उदाहरि है – भ्रंश घाटी का
ररफ्ट घाटी का भ्रंश द्रोिी से होकर बहने वाली नदी है – नमादा
पविम वावहनी नवदयों में दो पवषत श्रेवियों के बीच बहने वाली नदी है – नमादा
तवा सहायक नदी है – नमादा की
गोदावरी, ताप्ती, कृष्णा एवं महानदी में से अरब सागर में वगरने वाली नदी है –
िाप्ती
वह नदी जो तीन बार दो धाराओं में ववभक्त हो जाती है और कुछ मील आगे
जाकर पुनः वमल जाती है और इस प्रकार श्रीरं गपट्टनम, वशवसमुद्रम और श्रीरं गम के
द्वीपों का वनमाष ि करती है – कार्वेरी
कावेरी नदी का उद्गम है – ब्रह्मतगरी पहातडयों में
कावेरी नदी वकन राज्ों से होकर गुजरती है , वह है –
कनााटक, केरल, ितमलनाडु
दवक्षि की गंगा कहा जाता है – कार्वेरी को
कृष्णा नदी जल वववाद है – आं ध्र प्रदे श, कनााटक और महाराष्ट्र के मध्य
वह नदी वजन को जोडने का कायष वकया गया – गोदार्वरी और कृष्णा
गोदावरी, कावेरी, ताप्ती एवं महानदी में से वह नदी जो एश् चुअरी बनाती है –
िाप्ती
गोदावरी, महानदी, नमषदा व ताप्ती नवदयों की लं बाई के अवरोही क्रम में सही
अनुक्रम है – गोदार्वरी–नमादा– महानदी– िाप् िी
प्रायद्वीपीय भारत में पूवष वदशा में बहने वाली नवदयों का उत्तर दवक्षि का सही क्रम
है – सुर्वणारेखा, महानदी, गोदार्वरी, कृष्णा, पे न्नार, कार्वेरी और र्वेंगई
दवक्षि भारत की नवदयों का प्रमुख अपवाह तं त्र है – र्वृक्षनुमा
सोन, नमषदा तथा महा नदी वनकलती है – अमरकंटक से
वह नदी जो एथचुअरी नहीं बनाती है , वह है – महानदी
ओवडशा में अपना डे ल्टा बनाती है – महानदी
वह नवदयां वजनके घाटों में जल का अभाव है – साबरमिी िथा िाप्ती के घाटों में
वह थथान जहां से भारत की दो महत्पूिष नवदयों का उद्गम होता है , वजनमें एक उत्तर
की तरफ प्रवावहत होकर बंगाल की खाडी की तरफ प्रवावहत होने वाली दू सरी
महत्पूिष नदी में वमलती है और दू सरी अरब सागर की तरफ प्रवावहत होती है –
अमरकंटक
मध्य प्रदे श के पूवष से पविम की ओर प्रवावहत होने वाली नवदयां है – नमादा, िाप्ती
और माही
नमषदा, महानदी, गोदावरी एवं कृष्णा नवदयों में से सवाष वधक बडा जल ग्रहि क्षेत्र है –
गोदार्वरी नदी का
प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लं बी नदी है – गोदार्वरी
वशधारा, इं द्रावती, प्रिवहता एवं पेन्नार नवदयों में से गोदावरी की सहायक नवदयां
हैं – इं िार्विी और प्रणतहिा
वहमालय की सभी श्रेवियों को काटने वाली नदी – सिलज नदी
दू ध गंगा नदी अवस्थथत है – जम्मू एर्वं कश्मीर, उत्तराखंड िथा महाराष्ट्र में
बंगाल की खाडी में वगरने वाली नवदयां हैं – गंगा, ब्रम्हपु त्र, गोदार्वरी, महानदी,
कृष्णा, कार्वेरी, पे न्नार, स्वणारेखा िथा ब्राह्मणी
कृष्णा नदी की सहायक नदी है – कोयना, यरला, डीना, र्वणाा, घाटप्रभा आतद
हं गरी सहायक नदी है – िुं गभिा की
सोन नदी का वास्तववक स्रोत है – शहडोल तजले में अमरकंटक से
दामोदर नदी से वनकाली गई नहर है – एडन नहर
दामोदर सहायक नदी है – हुगली की
दामोदर नदी वनकलती है – छोटा नागपु र के पठार से
पूवष की ओर बहने वाली भारत की नदी वजसमें वनम्नावलन (Down warping) के
कारि ववभ्रंश घाटी (Rift valley) है – दामोदर
भारत की सवाष वधक प्रदू वर्त नदी है – दोनों
भारत में भूवम पर मृत नदी है – लू नी नदी
लू नी नदी के संदभष में, सही कथन है – यह कच्छ की रन की दलदली भूतम में लु प्त
हो जािी है ।
माही, घग्घर, नमषदा और कृष्णा नवदयों में से अंत: अंतः थथलीय नदी का उदाहरि
है – घग्घर
सबसे अवधक नदी पथ पररवतष न (Maximum Shifting of Course) करने वाली नदी
है – कोसी नदी
खारी नदी अपवाह तं त्र का अंग है , वह है – बंगाल की खाडी
वह नदी वजसका स्रोत वहमनदों में नहीं है – कोसी नदी
वत्रवेिी नहर में पानी आता है – गं डक नदी से
वबहार की वह नदी वजसने वर्ष 2008 में अपना मागष पररववतष त वकया एवं आपदा की
स्थथवत उत्पन्न की थी– कोसी नदी
संथाल परगना में लगने वाला दु मका का वहजला मेला आयोवजत वकया जाता है –
मयूराक्षी नदी पर
2 राज्ों में पहली बार दो नवदयों को जोडने की पररयोजना के संबंध में समझौते के
स्मृवत पत्र पर हस्ताक्षर वकए गए है । राज् और नवदयों के नाम है – उत्तरप्रदे श एर्वं
मध्यप्रदे श : केन एर्वं बेिर्वा
उत्तर प्रदे श एवं मध्य प्रदे श राज् में संयुक्त ‘राजघाट नदी घाटी पररयोजना’ लागू की
गई है , वह स्थथत है – बेिर्वा नदी पर
भारत में ववश्व का सबसे ऊंचा पुल बनाया जा रहा है – तचनाब नदी पर
महात्मा गां धी सेतु स्थथत है – तबहार में
वह नदी वजसका उद्गम थथल भारत में नहीं है – सिलज
कवपली वकसकी सहायक नदी है , वह है – ब्रह्मा (ब्रम्हपु त्र)
अध्यारोवपत नदी का उदाहरि है – चंबल
संकोश नदी सीमा बनाती है – असम एर्वं पतिम बंगाल के बीच
वह नदी जो मध्य प्रदे श से वनकलती है और खंभात की खाडी में वगरती है – माही
नदी
वकशनगंगा एक सहायक नदी है – झेलम नदी की
मुंबई की मीठी नदी झील से वनकलती है , वह है – तर्वहार झील
गंगा नदी के वकनारे सबसे बडा शहर है – कानपु र
भागीरथी नदी के वकनारे स्थथत शहर है – उत्तर काशी
ले ह अवस्थथत है – तसंिु नदी के दाएं िट पर
लु वधयाना अवस्थथत है – सिलज नदी के िट पर
है दराबाद अवस्थथत है – मूसी नदी के िट पर
भुनेश्वर अवस्थथत है – महानदी के िट पर
हुं डू प्रपात वनवमषत है – सुर्वणारेखा (स्वणारेखा) नदी पर
सुमेवलत कीवजए – कतपलिारा प्रपाि – नमादा नदी, जोग प्रिाप – शरार्विी नदी,
तशर्वसमुिम प्रपाि – कार्वेरी नदी पर अर्वक्कस्थि है ।
भारत का सबसे बडा जलप्रपात, जोग प्रताप स्थथत है – शरार्विी नदी पर
भारत का वह जलप्रपात वजसे लोकवप्रय रूप से वनयाग्रा जलप्रपात के तौर पर जाना
जाता है – तचत्रकूट प्रपाि
भारत के गोवा में स्थथत जलप्रपात है – दू िसागर प्रपाि
भेडाघाट पर स्थथत जलप्रपात है – िु आंिार जलप्रपाि
ववश्व जल प्रपात डे टाबेस की वतष मान स्थथवत के अनुसार, भारत का सबसे ऊंचा
जलप्रपात है – नोहकातलकई (मेघालय)
बेम्बनाद झील है – केरल में
पेररयार झील 55 वकलोमीटर क्षेत्र में फैली है , जो है – कृतत्रम झील
वचल्का झील जहां स्थथत है , वह है – उत्तरी सरकार िट पर
वचल्का झील स्थथत है – ओतडशा में
लोकटक झील अवस्थथत है – मतणपु र राज् में
दो भारतीय राज्ों की साझे दारी वाली झील – पु लीकट
फुल् हर झील स्थथत है – उत्तर प्रदे श के पीलीभीि में
असम में अवस्थथत झील है – चपनाला
‘रहस्यमई झील’ कहा जाता है – रूपकंु ड झील को
जिू एवं कश्मीर में अवस्थथत झील है – अंचार झील (श्रीनगर)
बफष से ढकी झील घेपन स्थथत है – तहमाचल प्रदे श में
‘मानसून’ शब्द की व्युत्पवत्त हुई है – अरबी भािा से
भारत का वह राज् जहां मानसून का आगमन सबसे पहले होता है – केरल
भारत में ग्रीष्मकालीन मानसून के प्रवाह की सामान्य वदशा है – दतक्षण पतिम से
उत्तर पू र्वा
भारतीय उपमहाद्वीप पर ग्रीष्म ऋतु में उच्च ताप और वनम्न दाब, वहं द महासागर से
वायु का कर्षि (Draw) करते हैं , वजसके कारि प्रवावहत होती है – दतक्षण-पतिमी
मानसून
भारत का सबसे सुखा थथान है – ले ह
भारत को उष्ण कवटबंध और उपोष्ण कवटबंध में ववभाजन करने के आधार के रूप में
मानी गई जनवरी का समताप रे खा है – 18 तडग्री सेक्कियस
भारत में सवाष वधक दै वनक तापां तर पाया जाता है – राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में
तवमलनाडु में मानसून के सामान्य महीने हैं – नर्वंबर तदसंबर
भारतीय मानसून मौसम ववथथापन से इं वगत है , वजसका कारि है – स्थल िथा समुि
का तर्वभेदी िापन
सत्य कथन है – दतक्षणी भारि से उिरी भारि की ओर मानसून की अर्वति
घटिी है । उत्तरी भारि के मैदानों में र्वातिाक र्वृक्कद्ध की मात्रा पू र्वा से पतिम की
ओर घटिी है ।
अमृतसर एवं वशमला लगभग एक ही अक्षांश पर स्थथत है , परं तु उनकी जलवायु में
वभन्नता का कारि है – उनकी ऊंचाई में तभन्निा
मानसून का वनवतष न इं वगत होता है – साफ आकाश से, बंगाल की खाडी में अतिक
दाब पररक्कस्थति से, स्थल पर िापमान के बढ़ने से
सही कथन है – पू रे र्विा 300N और 600S अक्षांशों के बीच बहने र्वाली हर्वाएं
पछु आ हर्वाएं (र्वेस्टरलीज) कहलािी हैं , भारि के उत्तर पतिमी क्षेत्र में
शीिकालीन र्विाा लाने र्वाली आिा र्वायु संहतियां (मॉइस्ट एयर मासेज) पछु आ
हर्वाओं के भाग हैं ।
भारत के सवाष वधक वर्ाष मुख्यतः प्राप्त होती है – दतक्षण पतिम मानसून से
उत्तरी पूवी मानसून से सबसे अवधक वर्ाष प्राप्त करने वाला राज् है – ितमलनाडु
अरुिाचल प्रदे श, वसस्िम, केरल एवं जिू-कश्मीर राज्ों में से अवधकतम औसत
वावर्षक वर्ाष होती है – तसक्किम में
भारतीय नगरों पटना, कोस्च्च, कोलकाता एवं वदल्ली में सामान्य वर्ाष का सही अवरोही
क्रम है – कोक्कि, कोलकािा, पटना, तदल्ली
आम्र वर्ाष (Mango Shower) संबंवधत है – आम की फसल से
भारत में सबसे कम वर्ाष वाला थथान है – लेह
दवक्षि पविम मानसून काल में कोलकाता, मंगलोर, चेन्नई एवं वदल्ली में सबसे कम
वर्ाष होती है – चेन्नई में
चेरापूंजी अवस्थथत है – मेघालय राज् में
भारत वर्ष में सवाष वधक वर्ाष वाला क्षेत्र है – पतिमी घाट, तहमालय क्षेत्र िथा मेघालय
भारत में वर्ाष का आवदत्य होते हुए भी दे श प्यासी धरती समझा जाता है । इसका
कारि है – र्विाा के पानी का िे जी से बह जाना, र्विाा के पानी का शीघ्रिा से भाप
बनकर उड जाना, र्विाा का कुछ थोडे ही महीनों में जोर होना।
वह जल प्रबंधन युस्क्त, जो भारत में लागत का अवधकतम लाभ दे ने वाली है – र्विाा के
जल का संचयन
भारतीय मौसम ववज्ञान ववभाग की पररभार्ा के अनुसार, वर्ाष का वदन वह होता है ,
जब वकसी ववशे र् थथान पर इस वर्ाष की मात्रा होती है – 24 घंटे में5 तमली मीटर से
ऊपर
गंगा के मैदान में यवद कोई पविम और उत्तर पविम को चले , तो मानसूनी वर्ाष करती
हुई वमले गी – क्ोंतक गंगा के मैदान में कोई ज्ों-ज्ों ऊपर को बढ़िा जाएगा,
आििा िारी मानसून पर्वन और ऊंची जािी तमलेगी।
भारत के अधष शुष्क क्षेत्रों में जल बाल ववकास का प्रमािक वचन्ह है – मौसमी नतदयों
के जल का िटबंिीकरण करके जलाशयों के िं त्र की स्थापना
भारत में मरुथथली ववकास योजना अब वक्रयास्ित है – 40 तजलों में (7 राज्ों में)
भारत के उत्तरी मैदानों में शीत ऋतु में वर्ाष होती है – प.तर्वक्षोभों से
भारत में शरद कालीन वर्ाष का क्षेत्र है – पं जाब, ितमलनाडु
तवमलनाडु में शरद कालीन वर्ाष अवधकां शत: वजन कारिों से होती है , वह हैं – उत्तरी
पू र्वी मानसून
वह राज् वजसमें जाडे के मौसम में बाररश वमलती है वह है – ितमलनाडु
भारत में शीतकाल में वर्ाष होती है – उत्तर पतिम में
वर्ष 2004 की सुनामी द्वारा भारत के तत्ों में से सवाष वधक दु ष्प्रभाववत हुआ था –
कोरोमंडल िट
‘हुदहुद चक्रवात’ से भारत का जो तटीय क्षेत्र प्रभाववत हुआ था, वह था – आं ध्र
प्रदे श िट
भारत में ‘सुनामी वावनिंग सेंटर’ अवस्थथत है – हैदराबाद में
भारतीय मौसम ववज्ञान ववभाग थथावपत है – नई तदल्ली में
बंगाल की खाडी के तटवती क्षेत्रों में चक्रवात अवधक आते हैं – बंगाल की खाडी में
अतिक गमी के कारण
आं ध्र प्रदे श, ओवडशा, वबहार और गुजरात राज् में सवाष वधक प्राकृवतक आपदाएं
आती है – ओतडशा में
दे श के पहले आपदा प्रबंधन प्रवशक्षि संथथान की थथापना कहां की जा रही है , वह
है – लािू र (महाराष्ट्र)
वह क्षेत्र जो उच्च तीव्रता की भूकंपीय मेखला में नहीं आता है – कनााटक पठार
भारत को वजन भूकंपीय जोस्खम अंचलों में ववभावजत वकया गया है , रहा है – 4 जोन
भारत का सबसे अवधक बाढ़ ग्रस्त राज् है – तबहार
उत्तर प्रदे श का सवाष वधक बाढ़ प्रभाववत क्षेत्र है – पू र्वी क्षेत्र
वह वमट्टी जो बेसाल्ट लावा के उपक्षय के कारि वनवमषत हुई है – रे गू र तमतट्टयां
रे गुर (Regur) नाम है – काली तमट्टी का
रे गुर (Regur) वमट्टी का ववस्तार सबसे ज्ादा है – महाराष्ट्र में
कपास की खेती के वलए सवाष वधक उपयुक्त वमट्टी है – रे गु र तमट्टी
‘स्वत: कृर््य वमट्टी’ कहा जाता है – कपास की काली तमट्टी को
लावा वमवट्टयां पाई जाती है – मालर्वा पठार में
मालवा पठार की प्रमुख वमट्टी है – काली तमट्टी
वह मृदा वजसे वसंचाई की काम आवश्यकता होती है , क्ोंवक वह नमी रोक कर
रखती है – काली तमट्टी
भारत की ले टेराइट वमट्टी के बारे में सही कथन है – यह सािारणि: लाल रं ग की
होिी है , इन तमट्टीयों में टै तपयोका और काजू की अच्छी उपज होिी है ।
ले टेराइट वमट्टी वमलती है – महाराष्ट्र में
ले टेराइट वमट्टीयों के वलए सही कथन है – उनमें चूना प्रचुर मात्रा में नही ं पाया जािा
है ।
भारत में सबसे अवधक उपजाऊ मृदा है – जलोढ़ मृदा
भारत में सबसे बडा वमट्टी का वगष है – कछारी तमट्टी
गंगा के मैदान की पुरानी कछारी वमट्टी कहलाती है – बांगर
वह मृदा की जल धारि क्षमता सबसे कम होती है – बलु ई दोमट मृदा
दु म्मटी (लोम) वमट्टी में वमलते हैं – तमट्टी के सभी प्रकार के कण
पविमी राजथथान में वमट्टीयों में सवाष वधक मात्रा होती है – कैक्कशशयम की
आलू , सोधषम, सूरजमुखी तथा मटर फसलों में से वह फसल जो मृदा को नाइटर ोजन
से भरपूर कर दे ती है – मटर
भूवम की उवषरता बढ़ाने के वलए जो फसल उगाई जाती है , वह है – उडद
भारत के कुछ भागों में यात्रा करते हुए आप दे खेंगे वक कहीं-कहीं लाल वमट्टी पाई
जाती है । वमट्टी के रं ग का प्रमुख कारि है – फेररक ऑक्साइड की तर्वद्यमानिा
भारतीय मृदा में वजन सूक्ष्म तत् की सवाष वधक कमी है , वह है – जस्ता
पौधों को सबसे अवधक पानी वमलता है – तचकनी तमट्टी में
वमट्टी का वैकेंट वजसका व्यास002 वमलीमीटर से कम होता है – मृतत्तका
सामान्य फसलें उगाने के वलए उवषर भूवम का pH मान होने की संभावना है – 6 से 7
ते जाबी वमट्टी को कृवर् योग्य बनाने हे तु उपयोग वकया जा सकता है – लाइम का
वमट्टी में खारापन एवं क्षारीयता की समस्या का समाधान है – खेिों में तजप्सम का
उपयोग
भारत में सवाष वधक क्षारीय क्षेत्र पाया जाता है – उत्तर प्रदे श राज् में
भारत में लविीय मृदा का सवाष वधक क्षेत्रफल है – गु जराि में
मृदा का लविीभवन मृदा में सवाष वधक वसंवचत जल केवा स्वीकृत होने से पीछे छूटे
नमक और खवनजों से उत्पन्न होता है । वसंवचत भूवम पर लविी भवन का जो प्रभाव
पडता है , वह है – यह कुछ मृदाओं को अपारगम्य में बना दे िा है ।
चाय बागानों के वलए उपयुक्त वमट्टी है – अम्लीय
भारत में वजस क्षेत्र में मृदा अपरदन की समस्या गंभीर है वह क्षेत्र है – तशर्वातलक
पहातडयों के पाद क्षेत्र एर्वं चंबल घाटी
चंबल घाटी के खोह-खड्ों के वनमाष ि का कारि अपरदन है , वह अपरदन प्रारूप है -
अर्वनालीका
मृदा अपरदन प्रवक्रयाओं के सही क्रम है – आस्फाल अपरदन, परि अपरदन,
ररल अपरदन, अर्वनातलका अपरदन
कृर््य भूवम में वह पौधा वजसके कारि भूवम का अपरदन अवधकतम तीव्रता से होता
है – सोघाम
फसल चक्र आवश्यक है – मृदा की उर्वारा शक्कक्त में र्वृक्कद्ध हे िु
मृदा संरक्षि के संदभष में प्रचवलत पद्धवतयां है – सस्यार्विा न (फसलों का हे रफेर)
र्वेतदका तनमााण (टे रेतसंग), र्वायुरोि
भारत में मृदा अपक्षय समस्या संबंवधत है – र्वनोन्मूलन से
मृदा अपरदन रोका जा सकता है – र्वनारोपण से
भोजपत्र वृक्ष वमलता है – तहमालय में
कत्था बनाने हे तु वजस पेड की लकडी का प्रयोग होता है , वह है – खैर
वन जो भारत के सवाष वधक क्षेत्र में पाया जाता है – उष्णकतटबंिीय आि पणापािी
र्वन
सागौन तथा साल उत्पाद है – उष्णकतटबंिीय शुष्क पिझडी र्वन के
पविमी वहमालय की शीतोर््ट पेटी (Temperate Zone) एक वृक्ष का बाहुल्य है , वह
है – दे र्वदार
वह राज् जहां वसनकोना वृक्ष नहीं होता है – छत्तीसगढ़
‘जं गल की आग’ कहा जाता है – ब्यूटीया मोनोस्पमाा को
भारत में सागौन का वन पाया जाता है – मध्यप्रदे श में
वह पौधे वजन में फूल नहीं होते हैं – फना
पविमी वहमालय में उच्च पवषतीय वनस्पवत 3000 मीटर की ऊंचाई तक ही उपलब्ध
होती है , जबवक पूवी वहमालय में वह 4000 मीटर की ऊंचाई तक उपलब्ध होती है ।
एक ही पवषत श्रंखला में इस ववववधता का कारि है – पू र्वी तहमालय का भूमध्य रे खा
और समुि िट से पतिमी तहमालय की अपे क्षा अतिक तनकट होना।
एं टीलोपो ‘ऑररक्स’ और ”चीरू’ के बीच अं तर है – ऑररक्स गमा और शुष्क
क्षेत्रों में रहने के तलए अनुकूतलि है , जबतक चीरू ठं डे उि पर्वािीय घास के
मैदान और अिा मरुस्थलीय क्षेत्रों में रहने के तलए।
सुंदरी का वृक्ष पाया जाता है – पतिम बंगाल में
लं बी जडों और नुकीले काटो अथवा शूलयुक्त झावडयों और लघु वृक्षों वाले आरवक्षत
अवरूद्ध वन सामान्य रूप से पाए जाते हैं – पतिमी आं ध्र प्रदे श में
वृक्ष है जो समुद्र तल में सवाष वधक ऊंचाई पर पाया जाता है – दे र्वदार
वह राज् य वजनके वनों का वगीकरि अधष उष्णकवटबंधीय के रूप में वकया जाता है –
मध्य प्रदे श
महोगनी वृक्ष का मूल थथान है – उत्तर एर्वं दतक्षणी अमेररका के उष्णकतटबंिीय
क्षेत्र
सामावजक वावनकी में प्रयुक्त बहुउद्दे शीय वृक्ष का एक उदाहरि है – खेजरी
लीसा प्राप्त होता है – चीड के र्वृक्ष में
केरल की कच्छ वनस्पवतयां पाई जाती है – र्वेम्बनाड-कुन्नूर में
भारत के संदभष में सही कथन है – दे श में तसंचाई का प्रमुख स्रोि नलकूप है ।
भारत में वसंचाई के अंतगषत सवाष वधक क्षेत्र वाला राज् है – पं जाब (लगभग7%)
सूक्ष्म वसंचाई पद्धवत के संदभष में सही कथन है – मृदा के उर्वारक/पोिक हातन की
जा सकिी है । इससे कुछ कृति क्षेत्रों में भौम जलस्िर को कम होने से रोका जा
सकिा है ।
जीवन रक्षक अथवा बचाव वसंचाई इं वगत करती है – पीडब्लूपी तसंचाई
गत 25 वर्ों से नलकूप वसंचाई का सवाष वधक शानदार ववकास हुआ है – सरयू पार
मैदान में
भारत का वह राज् से सवाष वधक वसंचाई नलकूप से होती है – उत्तर प्रदे श
भारत के राज्ों का वसं चाई के वलए उपलब्ध भूतल जल संसाधनों की दृवष्ट् से अवरोही
क्रम में सही अनुक्रम है – उत्तर प्रदे श, महाराष्ट्र, पतिम बंगाल, असम
भारत में माला नहर तं त्र (Garland Canal System) को प्रस्ताववत वकया था –
तदनशॉ जे.दस्तू र ने
भारत की वसंचाई क्षमता का सवाष वधक भाग पूरा होता है – लघु एर्वं र्वृहि
पररयोजनाओं से
फरिा नहर की जलवायु क्षमता – 40,000 क्यूसेक
मंगलम वसंचाई पररयोजना है – केरल में
सारि वसंचाई नहर वनकलती है – गं डक से
इं वदरा गां धी नहर का उद्गम थथल है – हररके बैराज
हररके बैराज (इं वदरा गां धी नहर का प्रमुख स्रोत) वजन नवदयों के संगम पर है वह नदी
है – व्यास और सिलज
राजथथान (इं वदरा) नहर वनकलती है – सिलज से
इं वदरा गां धी नहर का वनमाष ि कायष वर्ष 1958 में प्रारं भ हुआ और इसका उद्गम है –
सिलज नदी पर हररके बांि से
इं वदरा गां धी नहर जल प्राप्त करती है – व्यास, रतर्व िथा सिलज नतदयों से
व्यास नदी के पोंग बां ध के जल का उपयोग करती है – इं तदरा गांिी नहर
पररयोजना
भारत मैं ववश्व की सबसे पुरानी वह ववकवसत नहर व्यवथथा है – गं ग नहर
गंग नहर जो सबसे पुरानी नहरों में से है , का वनमाष ि गंग वसंह जी ने करवाया – 1927
में
शारदा सहायक सामावजक ववकास पररयोजना के मुख्य लक्ष्य है – कृति उत्पादन
बढ़ाना, बहु फसली खेिी द्वारा भूतम उपयोग के प्रारूप को बदलना, भू प्रबंिन
का सुिार
वनचली गंगा नहर का उद्गम थथल है – नरोरा (बुलंदशहर) में गं गा नदी पर
हररयाली एक नई योजना है – जल संग्रहण से संबंतिि तर्वकास योजना एर्वं
र्वृक्षारोपण के तलए।
एकीकृत जल संभर ववकास कायषक्रम को वक्रयास्ित करने के लाभ है – मृदा के
बाहर जाने की रोकथाम, र्विाा जल संग्रहण िथा भौम जल स्तर का पु नभारण,
प्राकृतिक र्वनस्पतियों का पु नजानन
डरक (वडरप) वसंचाई पद्धवत के प्रयोग के लाभ है – खरपिर्वार में कमी, मृदा
अपरदन में कमी
सरदार सरोवर पररयोजना से लाभास्ित होने वाले राज् हैं – गु जराि, महाराष्ट्र,
मध्यप्रदे श एर्वं राजस्थान
सरदार सरोवर बां ध बनाया जा रहा है – नमादा नदी पर
सरदार सरोवर से सवाष वधक लाभ वमलता है – गुजराि को
सरदार सरोवर पररयोजना के ववरोध में है – मेिा पाटे कर
बरगी, ओमकारे श्वर, इं वदरा सागर एवं बािसागर बां धों में से वह बां ध जो नमषदा नदी
पर नहीं है – बाणसागर
इं वदरा सागर बां ध स्थथत है – नमादा नदी पर
मध्यप्रदे श में हरसूद कस्बा जलमग्न हुआ है – इं तदरा सागर जलाशय में
ओंकारे श्वर पररयोजना का संबद्ध है – नमादा नदी से
नमषदा बचाओ आं दोलन वजस बां ध की ऊंचाई बढ़ाने के वनिष य का ववरोध कर रहा है ,
वह बां ध है – सरदार सरोर्वर
भाखडा नां गल एक संयुक्त पररयोजना है – हररयाणा पं जाब एर्वं राजस्थान की
भाखडा नां गल बां ध बनाया गया है – सिलज नदी पर
भारत का सबसे पुराना जनशस्क्त उत्पादन केंद्र है – तशर्व समुिम
वशवसमुद्रम जल ववद् युत पररयोजना स्थथत है – कनााटक में
कावेरी नदी का जल बंटवारे का ववभाजन राज्ों से संबंवधत है वह राज् है –
ितमलनाडु , कनााटक, केरल िथा पुडुचेरी
नागाजुष न सागर पररयोजना अवस्थथत है – कृष्णा नदी पर
भारत मैं नागाजुष न सागर पररयोजना स्थथत है – आं ध्र प्रदे श में
हीराकुंड बां ध बनाया गया है – महानदी पर
वह जलाशय जो चंबल नदी पर बना है – राणा प्रिाप सागर
चंबल नदी पर वनवमषत बां ध है – गांिी सागर
वह नदी घाटी पररयोजनाएं जो एक से अवधक राज्ों को लाभास्ित करती हैं – चंबल
घाटी पररयोजना एर्वं मयूराक्षी पररयोजना
चंबल घाटी योजना से संबंवधत है – गांिी सागर, जर्वाहर सागर, राणाप्रिाप सागर
वटहरी बां ध उत्तराखंड में वनवमषत वकया जा रहा है – भागीरथी नदी पर
वटहरी जल ववद् युत पररयोजना बनाई गई है – भागीरथी एर्वं तभलंगना नदी पर
मैंथॉन, बेलपहाडी एवं वतलैया बां ध बनाए गए – बाराकर नदी पर
दामोदर घाटी वनगम की थथापना हुई थी – 1948 में
तवा पररयोजना स्थथत है – नमादा नदी पर
हीराकुंड पररयोजना स्थथत है – ओतडशा में
हस्िया ररफाइनरी अवस्थथत है – पतिम बंगाल में
तारापुर परमािु केंद्र स्थथत है – महाराष्ट्र में
कुदरे मुख पहावडयां – कनााटक में
वहमाचल प्रदे श बां ध सतलज नदी पर बनाया जा रहा है , इस बां ध को बनाने का मुख्य
उद्दे श्य है – भाखडा बांि में आने र्वाली िलछट तमट्टी को रोकना।
वह पररयोजना जो भारत ने भूटान के सहयोग से बनाई है – चुक्का बांि पररयोजना
नागाजुष न सागर पररयोजना – कृष्णा नदी पर
तवमलनाडु , आं ध्र प्रदे श तथा कनाष टक की संयुक्त पररयोजना है – िे लुगु गंगा
पररयोजना
ते लुगु गंगा पररयोजना से पेयजल प्रदान वकया जाता है – मिास को
बहुत दे सी नदी घाटी पररयोजनाओं को ‘आधुवनक भारत के मंवदर’ कहा था –
जर्वाहरलाल नेहरू ने
अलमट्टी बां ध स्थथत है – कृष्णा नदी पर
कल्ोंग जल ववद् युत पररयोजना अवस्थथत है – अंडमान एर्वं तनकोबार द्वीप समूह
में
भारत में सबसे पुराना जलववद् युत स्टे शन है – तसिाबाग
भारत में प्रथम जल ववद् युत संयंत्र की थथापना की गई थी – दातजातलंग में
कालागढ़ बां ध बना हुआ है – रामगंगा नदी पर
तवा पररयोजना संबंवधत है – होशंगाबाद से
पोंग बां ध बनाया गया है – व्यास नदी पर
मेजा बां ध का वनमाष ि हुआ है – कोठारी नदी पर
तु लबुल पररयोजना का संबंध है – झेलम नदी से
बगवलहार पॉवर प्रोजे क्ट, वजसके ववर्य में पावकस्तान द्वारा ववश्व बैंक के समक्ष वववाद
उठाया गया, भारत द्वारा वकस नदी पर बनाया जा रहा है वह है – तचनाब नदी
बगवलहार पनववद् युत पररयोजना, जो हाल में चवचषत रही है , स्थथत है – जम्मू और
कश्मीर में
तपोवन और ववष्णु गढ़ जल ववद् युत पररयोजना अवस्थथत है – उत्तराखंड में
महाकाली संवध वजन दे शों के मध्य है वह है – नेपाल और भारि
मीठे पानी की कल्सर पररयोजना अवस्थथत है – गु जराि में
वह राज् वजसमें सुइल नदी पररयोजना स्थथत है – तहमाचल प्रदे श
तीस्ता लो डै म प्रोजेक्ट- तृ तीय, तीस्ता नदी पर प्रस्ताववत है । इस प्रोजेक्ट का थथल
है -पतिम बंगाल में
तीस्ता जल ववद् युत पररयोजना स्थथत है – तसक्किम में
उत्तर प्रदे श में रानी लक्ष्मीबाई बां ध पररयोजना वनवमषत है – बेिर्वा नदी पर
दु लहस्ती हाइडरो पावर स्टे शन अवस्थथत है – तचनार्व नदी पर
वतलै या बां ध अवस्थथत है – बराकर नदी झारखंड में
गोववंद बल्लभ पंत सागर जलाशय स्थथत है – उत्तर प्रदे श में
गंडक पररयोजना संयुक्त पररयोजना है – तबहार र्व उत्तर प्रदे श की
वह प्रमुख राज् य जो प्रस्ताववत ‘वकसाउ बां ध’ पररयोजना से लाभास्ित होंगे –
उत्तराखंड र्व तहमाचल प्रदे श
वह बां ध वसंचाई के वलए नहीं है – तशर्व समुिम
अवत वववावदत बबली प्रोजे क्ट अवस्थथत है – महाराष्ट्र में
‘भारतीय कृवर् का इवतहास’ वलखा था – एम एस रं िार्वा ने
भारत में एग्रो इकोलॉवजकल जोंस (कृवर् पाररस्थथवतकीय क्षेत्रों) की कुल संख्या है –
20
भारत की खाद्य एवं पोर्ि सुरक्षा के संदभष में वववभन्न फसलों की ‘बीज प्रवतथथापन
दरों’ को बढ़ाने से भववष्य के खाद्य उत्पादन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद वमलती है ,
वकंतु इसके अपेक्षाकृत बडे /ववस्तृत वक्रयाियन में बाध्यताएं है , वह है – तनजी क्षेत्र
की बीज कंपतनयों की, उद्यान कृति फसलों की रोपण सामतग्रयों और सक्कियों
के गु णर्वत्ता र्वाले बीजों की पू तिा में कोई सहभातगिा नही ं है ।
दे श का पहला कृवर् ववश्वववद्यालय है – जी बी पी ए यू पंिनगर
भारतवर्ष में प्रथम कृवर् ववश्वववद्यालय की थथापना हुई थी – र्विा 1960 में
यवद खाद्यान्नों का सुरवक्षत संग्रह सुवनवित करना हो, तो कटाई के समय उनकी
आद्रता अंश होना चावहए – 14% कम
भारत में भूवम उपयोग वगीकरि का संवन्नकट वनरूपि है – नेट बुर्वाई क्षेत्र 47%,
र्वन 23%, अन्य क्षेत्र 30%
कृवर् में युग्म में पैदावार का आशय है – तर्वतभन्न मौसमों पर दो फसल उगाने से
वमवश्रत खेती की ववशे र् प्रमुखता है – पशुपालन और शस्य उत्पादन को एक साथ
करना
प्रकृवत पर अवधक वनभषरता, उत्पादकता का वनम्न स्तर, फसलों की ववववधता तथा बडे
खेतों की प्रधानता में से भारतीय कृवर् की ववशेर्ता नहीं है – बडे खेिों की प्रिानिा
जनसंख्या का दबाव, प्रच्छन्न बेरोजगारी, सहकारी कृवर् एवं भू जोत का आकार में से
एक भारतीय कृवर् की वनम्न उत्पादकता का कारि नहीं है – सहकारी कृति
भारत में संकायष (चालू ) जोतों का सबसे बडा औसत आकार है – राजस्थान में
भारत में कृवर् को समझा जाता है – जीतर्वकोपाजान का सािन
भारतीय कृवर् के संदभष में, सही कथन है – भारि में दालों की खेिी के अंिगाि
आने र्वाली लगभग 90% क्षेत्र र्विाा द्वारा पोतिि है ।
भारत में रासायवनक उवषरकों के दो बडे उपभोक्ता है – उत्तर प्रदे श एर्वं आं ध्र प्रदे श
नई सुधारी गई ऊसर में हरी खाद के वलए उपयुक्त फसल है – ढें चा
संतुवलत उवषरक प्रयोग वकए जाते हैं – उत्पादन बढ़ाने के तलए, खाद्य की गु णर्वत्ता
उन्नि करने हेिु, भूतम की उत्पादकिा बनाए रखने हे िु
केरल तट, तवमलनाडु तट, ते लंगाना तथा ववदभष में से दवक्षि भारत में उच्च कृवर्
उत्पादकता का क्षेत्र पाया जाता है – ितमलनाडु िट में
पुनभषरि योग्य भौम जल संसाधन में सबसे संपन्न राज् है – उत्तर प्रदे श
भारत में ठे केदारी कृवर् को लागू करने में अग्रिी राज् है – पं जाब
हररत खेती में सवन्नवहत है – समेतकि कीट प्रबंिन, समेतकि पोिक पदाथा आपू तिा
एर्वं समेतकि प्राकृतिक संसािन प्रबंिन
भारतीय कृवर् पर वैश्वीकरि का प्रभाव है – अंिरराष्ट्रीय बाजारों का भारिीय
तकसानों के उत्पादों की पहुं च, नगदी फसल पर बल, आय-असमानिा में र्वृक्कद्ध,
आतथाक सहायिा में कटौिी आतद।
बीज ग्राम संकल्ना (सीड ववलेज कॉन्सेप्ट) के प्रमुख उद्दे श्य का सवोत्तम विष न
करता है – तकसानों को गु णर्वत्ता युक्त बीज उत्पादन का प्रतशक्षण दे ने में लगाना
और उनके द्वारा दू सरों को समुतचि समय पर िथा र्वाहन करने योग्य लागि में
गु णर्वत्ता युक्त बीज उपलब्ध कराना।
एगमाकष है – गु णर्वत्ता गारं टी की मोहर
हररत क्रां वत कई कृवर् व्यूह-रचना की पररिाम थी, जो 20वीं सदी में प्रारं भ की गई
थी – सािर्वें दशक के दौरान
‘सदाबहार क्रां वत’ भारत में कृवर् उत् पादन बढ़ाने के वलए प्रयोग में लाई गई – एम.
एस. स्र्वामीनाथन द्वारा
नॉमषन अगेस्ट बोरलॉग, जो हररत क्रां वत के जनक माने जाते है , वह संबंवधत है –
संयुक्त राज्य अमेररका से
ववश् व में ‘हररत क्रां वत के जनक’ है – नॉमान ई. बोरलॉग
हररत क्रां वत से गहरा सं बंध रहा है – डॉ. स्र्वामीनाथन का
हररत क्रां वत से अवभप्राय है – उच्च उि्पाद र्वैराइटी प्रोगाम
मोटे अनाज, दलहन, गेहू तथा वतलहन में से हररत क्रां वत संबंवधत है – गे हू उि्पादन
से
वह फसल वजसको ‘हररत क्रां वत’ का सवाष वधक लाभ उत् पादन एवं उत्पादकता
(Production and Productivity) दोनों में हुआ – गे हू
स्वतं त्रता प्रास्प्त के बाद से भारत ने सवाष वधक प्रगवत की है – गे हू के उि् पादन में
हररत क्रां वत में प्रयुक्त मुख्य पादप (फसल) थी – मैक्कक्सकन गे हं
भारत में वद्वतीय हररत क्रां वत में संबंध में सही है – इसका लक्ष्य हररि क्रांति से अब
िक लाभाक्किि न हो सकने र्वाले क्षेत्रों में बीज, पानी, उर्वारक, िकनीक का
तर्वस्िार करना है । इसका लक्ष्य पशुपालन, सामातजक र्वातनकी िथा मि् स्य
पालन के साथ शस्योि् पादन का समाकलन करना है ।
हररत क्रां वत के घटक हैं – उच्च उि्पादन दे ने र्वाली तकस्म के बीज, तसंचाई,
ग्रामीण तर्वद् युिीकरण, ग्रामीण सडकें और तर्वपणन
इं द्रधनुर्ीय क्रां वत का संबंध है – इसमें कृति क्षेत्र की सभी क्रांतियां शातमल हैं ।
सही सुमेलन है – खाद्य उि् पादन में र्वृक्कद्ध – हररि क्रांति, दु ग्ि उि्पादन – श्र्वेि
क्रांति, मि् स्यपालन – नीली क्रांति, उर्वारक- भूरी क्रांति, उद्यान कृति – सुनहरी
क्रांति
गुलाबी क्रां वत संबंवधत है – प् याज से
जीरो वटल बीज एवं उवषरक वडरल ववकवसत वकया गया था – जी.बी. पंि कृति एर्वं
प्रौद्योतगकी तर्वश्र्वतर्वद्यालय, पं जनगर में
रबी की फसल की बुआई होती है – अक्टू बर-नर्वंबर महीने में
‘रबी’ फसल है – सरसों, मसूर, चना, गे हं आतद
गेंहं की अच्छी खेती आवश्यक पररस्थथवत-समुच्चय है – मि्यम िाप और मि् यम
र्विाा
गन्ना, कपास, जू ट तथा गेहं में से नकदी फसल में सस्िवलत नहीं है – गें हं
नकदी फसल समूह है – कपास, गन्ना, केला
तीन बडे गेहं उत् पादक राज् यों की द़वष्ट् से सही क्रम है – उि्िरप्रदे श, मि् यप्रदे श
एर्वं पं जाब
भारत का अवधकतम गेहं उत् पादक राज् य है – उि् िर प्रदे श
‘मही सुगंधा’ प्रजावत है – िान की फसल की
भारत में उत्तरप्रदे श का प्रथम स्थान है – गेहं, आलू और गन्ना उि् पादन में
गेहं की वह प्रजावत जो प्रेररत उत् पररवतष न द्वारा ववकवसत की गई है – सोनारा – 64
गेहं में बौनेपन का जीन है – नोररन – 10
मैकरोनी गेहं सबसे उपयुक्त है – अतसंतचि पररक्कस्थतियों के तलए
राज 3077 एक प्रजावत है – गे हं की
‘पूसा वसंधु गंगा’ एक प्रजावत है – गे हं की
यूपी-308 एक प्रजावत है – गे हं की
गेहं कर फसल का रोग है – रस्ट
कल् याि सोना एक वकस्म है – गे हं की
गेहं की अवधक पैदावार वाली वकस्में है – अजुान और सोनातलका
गेहं के साथ दो फसली के वलए अरहर की उपयुक्त वकस्म है – यू.पी.ए.एस.-120
‘वटर वटकेल’ वजन दो के बीच का संकर (क्रॉस) है , वह हैं – गे हं एर्वं राई
‘करनाल बंट’ एक बीमारी है – गे हं की
धान की उत् पवत्त हुई – दतक्षण-पू र्वा एतशया में
खरीफ की फसलें हैं – कपास, मूंगफली, िान आतद
चावल की खेती के वलए आदशष जलवायु पररस्थथवतयां हैं -100 सेमी. से ऊपर र्विाा
और 25 तडग्री सेक्कियस ऊपर िाप
मसूर, अलसी, सरसो तथा सोयाबीन में से खरीफ की फसल है – सोयाबीन
भारत में प्रमुख खाद्यान्न है – चार्वल
खेती के अंतगषत क्षेत्र के अनुसार भारत में सबसे महत् वपूिष खाद्य फसल है – चार्वल
भारत में वह फसल वजसके अंतगषत सवाष वधक क्षेत्रफल है – िान
भारत में चावल की खेती के अंतगषत सवाष वधक क्षेत्र पाया जाता है – उि्िर प्रदे श में
भारत में प्रवत हे क्टे यर चावल का औसत उत् पादन वर्ष 2014-15 में था – 2390
तकलोग्राम
भारत के ‘चावल के कटोरे ’ क्षेत्र का नाम है – कृि्णा-गोदार्वरी डे ल्टा क्षेत्र
धान की उत् पादकता सवाष वधक है – पं जाब राज्य में
जया, पद्मा एवं कृर््िा उन्नत वकस्में हैं – िान की
‘अमन’ धान उगाया जाता है – जून-जुलाई (बुआई), नर्वंबर-तदसंबर (कटाई)
पसा सुगंधा-5 एक सुगवधत वकस्म है – िान की
‘बारानी दीप’ है – िान की तकस्म
बासमती चावल की संकर प्रजावत है – पू सा आर एच-10
बासमती चावल की रोपाई हे तु उपयुक्त बीज दर है – 15-20 तकग्रा./हेक्टे यर
भारत में चावल का सबसे बडा उत् पादक राज्य है – पतिम बंगाल
वह जीव जो चावल की सबसे फसल के वलए जैव उवषरक का कायष कर सकता है –
नील हररि शैर्वाल
ववगत एक दशक में, भारत में वजस फसल के वलए प्रयुक्त कुल कृर््य भूवम लगभग
एक जै सी बनी रही है , वह है – चार्वल
दे श का आधे से अवधक उत् पावदत चावल वजन चार राज् यों से प्राप्त होता है , वे हैं –
पतिम बंगाल, उि्िर प्रदे श, पं जाब और आं ध्र प्रदे श
भारतवर्ष में चावल की खेती उन क्षेत्रों में होती है , जहां वावर्षक वर्ाष – 100 सेमी. से
अतिक है ।
वह राज् य वजसमें संकर धान की खेती के अंतगषत सवाष वधक क्षेत्रफल है – उि्िर
प्रदे श
वह फसलें जो जायद में मुख्यत: वसंवचत क्षेत्रों में उगाई जाती हैं – मूंग ् एर्वं उडद
भारत में कपास का अवधकतम मात्रा में उत् पादन करने वाला क्षेत्र है – उि् िर-
पतिमी और पतिमी भारि
भारत का सबसे बडा कपास उत् पादक राज् य है – गु जराि
मध्य प्रदे श का वह वजला जो कपास की खेती के कारि ‘सफेद सोने’ का क्षेत्र कहा
जाता है – उज्जैन-शाजापु र
महारार््टर में वह फसल जो ‘श् वेत स्विष ’ के नाम से जानी जाती है – कपास
सत् य कथन है – भारि कपास के पौिे का आतद तनर्वास है । तर्वश्र्व में भारि
पहला दे श है , जहां कपास की संकर तकस्म तर्वकतसि हुई, तजसके पररणाम
स्र्वरूप र्वतिाि उि्पादन होिा है ।
कपास के रे शे प्राप्त होते हैं – बीज से
महारार््टर के काली वमट्टी के क्षेत्र में कपास को गन्ने की फसल से प्रवतस्पधाष का
सामना करना पड रहा है । इसका कारि है – तसंचाई सुतर्विाओं के प्रसार के
कारण इस क्षेत्र में गन्ने की फसल अतिक लाभप्रद है ।
भारत का वह राज् य वजसमें गन्ने की खेती के अंतगषत सबसे अवधक भूवम है – उि्िर
प्रदे श
भारत की फसलों में से वह फसल वजसके अंतगषत उसके शुद्ध सकल कृवर् क्षेत्रके
वसंवचत क्षेत्र का सवाष वधक प्रवतशत है – गन्ना
भारत में तीन गन्ना उत् पादक राज् यों का घटते हुए (Decreasing Order) क्रम में
सही अनुक्रम है – उि्िरप्रदे श, महाराि्टर, कनााटक
भारत में सवाष वधक गन्ना पैदा करने वाला राज् य है – उि् िरप्रदे श
सत् य कथन है – चीनी उि् पादन प्रक्रम में शीरा एक उपोि्पाद है । चीनी
कारखानों में चीनी तमलों में से तनकली खोई भाप बनाने के तलए बॉयलरों में
ईि ं न के रूप में प्रयोग की जािी है ।
गन्ना उत् पादन के एक व्यावहाररक उपागम का, वजसे ‘धारिीय गन् ना उपक्रमि’
के रूप में जाना जाता है , महत् व है – कृति की पारं पररक पद्धति की िु लना में
इसमें बीज की लागि बहुि कम होिी है । इसमें च्यर्वन (तडर प) तसंचाई का
प्रभार्वकारी प्रयोग हो सकिा है । कृति की पारं पररक पद्धति की िुलना में इसमें
अंिराशस्यन की ज्यादा गुं जाइश है ।
गन्ने में शकषरा की मात्रा घट जाती है , यवद – पकने की अर्वति में पाला तगर जाए।
चीनी उद्योग से संबंवधत कथन सही है – तर्वश्र्व में चीनी उि् पादन में भारि का
तहस्सा 15 प्रतिशि से अतिक है । भारि में चीनी उद्योग दू सरा सबसे बडा कृति
आिाररि उद्योग है । भारि चीनी का सबसे बडा उपभोक्िा है ।
शक्कर नगर चीनी का एक प्रमुख उत् पादक केंद्र है – आं ध्रप्रदे श
भारत का ‘शक्कर का प्याला’ कहलाता है – उि् िर प्रदे श
1903 में भारतवर्ष की प्रथम चीनी वमल स्थावपत की गई – प्रिापपु र (दे र्वररया) में
उत् तरी भारत से दवक्षिी भारत में चीनी उद्योग के स्थावनक स्थानां तरि का कारि
है – गन्ने का प्रति एकड उच्चिर उि्पादन, गन्ने में शकारा का अतिक होना,
पे राई का अतिक लम्बा मौसम।
गन्ने में प्रजनन का कायष वकया जा रहा है – कोयम्बटू र में
गन्ने का बीज उत् पावदत वकया जाता है – एम.बी.आई. कोयम्बटू र में
गन्ने की अडसाली फसल पकने के वलए समय लेती है – 18 माह
वतलहन फसल है – सूयामुखी, तिल, अलसी, सोयाबीन, अरं डी आतद।
शु र््क भूवम के वलए सवाष वधक उवचत फसल है – मूंगफली
‘पेवगंग’ एक लाभकारी प्रवक्रया है – मूंगफली में
भारत में सोयाबीन का अग्रिी उत् पादक राज्य है – मि् य प्रदे श
भारत में सोयाबीन की खेती का सवाष वधक क्षेत्रफल है – मि् य प्रदे श
भारत में मूंगफली का सबसे बडा उज् पादक राज् य है – गु जराि
मूंगफली के क्षेत्रां तगषत कम परं तु , प्रवत हे क्टे यर बहुत अवधक उत् पादन वाला भारत
का राज् य है – पं जाब
राजस्थान प्रमुख उत् पादक है – सरसों का
भारत में उत् पावदत मुख्य वतलहन फसल है – सोयाबीन, मूंगफली, सरसों, तिल
सरसों की प्रजावतयां हैं – र्वरूणा, पू सा बोल्ड एर्वं तपिांबरी आतद
वजप्सम की अवधक मात्रा आवश् यक होती है – मूंगफली की फसल में
‘कौशल’ उन्नत प्रजावत है – मूंगफली की
वह दे श जो दलहनी फसलों का मुख्य उत् पादक तथा उपभोक्ता है – भारि
भारत में सामात्यत: वनयाष त नहीं वकया जाता है – दालों का
भारत में दालों का सबसे उत् पादक राज् य है – मि् यप्रदे श
हवा से नत्रजन संवचत करने की क्षमता होती है – दालों में
दलहनी फसलों के उत्पादन हे तु आवश्यक तत् व है – कोबाल् ट
वायुमंडल के नत्रजन का स्थथरीकरि करने वाली दलहनी फसल है – चना, मटर एर्वं
मूंग
दलहनी फसलों में संतुवलत खात का अनुपात (एन.पी.के.) है – 1:2:2
अरहर का जन्म स्थान है – भारिर्विा
मालवीय चमत्कार एक प्रजावत है – अरहर की
‘बहार’ एक प्रवसद्ध प्रजावत है – अरहर की
मटर की पत् तीववहीन जावत है – अपणाा
भारत में सवाष वधक रे शम पैदा करने वाला राज् य है – कनााटक
भारत को 60 प्रवतशत से अवधक कच्चा रे शम प्राप्त होता है – आं ध्रप्रदे श एर्वं
कनााटक से
सही सुमेलन है – शहिू ि रे शम – कनााटक, टसर रे शम – झारखंड, ईरी रे शम –
असम, मूंगा रे शम – असम
मूंगा रे शम की एक ऐसी वकस्म है , जो पूरे ववश् व में केवल भारत में होती है – असम
में
टसर रे शम का अग्रिी उत् पादक राज् य है – झारखंड
रार््टरीय बागवानीपररर्द (बोडष ) की स्थापना हुई थी – र्विा 1984 में
भारत में सवाष वधक कॉफी उत् पादन की जाती है – कनााटक में
भारत में दे श का 72.3 प्रवतशत से अवधक कॉफी अकेले पैदा करता है – कनााटक
भारत में कहवा की खेती का क्षेत्र सवाष वधक पाया जाता है – कनााटक में
वर्ष 2015 के आं कडों के अनुसार, चाय के उत् पाद, चाय के उत् पादन एवं उपभोग में
चीन का प्रथम तथा भारत का – तद्विीय स्थान
भारत में वह नकदी फसल वजससे अवधकतम ववदे शी मुद्रा प्राप्त होती है – चाय
भारत का सबसे बडा चाय उत् पादक राज् य है – असम
भारत अपनी आवश्यकता से अवधक उत् पादन करता है – चाय का
एक ऐसे क्षेत्र में जहां वावर्षक वर्ाष 200 सेंमी से अवधक होती है और ढलाव पहाडी
स्थल है , खेती अभीर््ट होगी – चाय की
ग्रीन गोल् ड वकस्म है – चाय की
बराक घाटी की महत् वपूिष फसल है – िान
भारत में रबर का सवाष वधक उत् पादन करने वाला राज् य है – केरल
भारत का वह राज् य जहां कहवा, रबर तथा तम्बाकू सभी की कृवर् की जाती है –
कनााटक
भारत में बागानी कृवर् के अंतगषत उगाई जाने वाली मुख्य शस्य है – चाय, रबर,
नाररयल, कहर्वा
सही कथन है – चाय असम की मुख्य फसल है । िम्बाकू आं ध्रप्रदे श में तर्वस्िृि
पै माने पर उगाई जािी है ।
भारत में तम्बाकू की कृवर् के अंतगषत वृहत्तम क्षेत्र है – आं ध्रप्रदे श में
भारत में नाररयल का सबसे बडा उत् पादक राज् य है – ितमलनाडु
काली वमचष का अवधकतम उत् पादन (ववश्व में) होता है – तर्वयिनाम और भारि में
इलायची उत् पादन के वलए प्रवसद्ध राज् य है – केरल, कनााटक एर्वं ितमलनाडु
केरल राज् ववश्व भर में जाना जाता है – गरम मसालों के संर्विा न के तलए
‘मसालों का बागान’ कहां जाने वाला राज् है – केरल
लोंग प्राप्त होता है – पु ष्प कली से
लौंग की खेती मुख्यतः होती है – केरल, ितमलनाडु और कनााटक में
सही सुमेलन है – जूट – पतिम बंगाल, चाय – असम, रबर – केरल, गन्ना –
उि् िरप्रदे श
भारत में काली वमचष की खेती के वलए अनुकूल दशाएं हैं – उि्ण और आिा
जलर्वायु, 200 सेंटीमीटर र्वातिाक र्विाा, 1100 मीटर िक की ऊंचाई के पहाडी
ढाल, 150 से 300 िक र्वातिाक िाप पररसर
भारत में काला सोना के रूप में जाना जाता है – काली तमचा एर्वं कोयला
भारत में मसालों का सवाष वधक उत्पादक है – गुजराि
काजू का प्रमुख उत्पादक राज् है – महाराष्ट्र
झूवमंग अथवा पेडा पद्धवत है – जंगल काटकर सूखने को छोडना
जू वमंग सवाष वधक व्यवहृत है – नागालैंड में
चलवासी कृवर् वजन राज्ों के पहाडी क्षेत्रों की प्रमुख समस्या है , वह राज् है – असम
िथा झारखंड
भारत में आलू का सवाष वधक उत्पादन होता है – उत्तर प्रदे श में
राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र स्थथत है – तत्रची में
भारत में खाद्यान्नों का उनके उत्पादन (वमवलयन टन में) का सही ह्रासवान क्रम है –
चार्वल गे हं मोटे अनाज दालें
भारत का वह राज् जो कपास, मूंगफली तथा नमक के उत्पादन में प्रथम थथान पर
है – गु जराि
हररत बाल रोग पाया जाता है – बाजरे में
गन्ना, चुकंदर, स्वीट पी, चना, अरहर और फरासबीन आते हैं – तत्रपादप कुल के
अंिगा ि
वर्ष 2015-16 में भारत का कुल खाद्यान्न उत्पादन था – 251.57 तमतलयन टन
ववश्व में फल उत्पादन में भारत का थथान है – दू सरा
भारत का सवाष वधक पटसन उत्पादक राज् है – पतिम बंगाल
भारत में जू ट उद्योग प्रमुखत: केंवद्रत है – पतिम बंगाल में
गंगा के वनचले मैदानों की यह ववशे र्ता है वक यहां वर्षभर जलवायु उच्च तापमान के
साथ आद्रष बनी रहती है । इस क्षेत्र के वलए सबसे उपयुक्त फ़सल युग्म है – िान और
जूट
भारत में जू ट का सवाष वधक क्षेत्रफल है – पतिम बंगाल में
वर्षभर बोई जाने वाली फसल है – मिा
मिा के वलए सही कथन है – मिा का मंड के उत्पादन के तलए प्रयोग तकया
जा सकिा है । मिा से तनष्कातसि िे ल जैर्व-डीजल के तलए फीडस्टॉक हो
सकिा है । मिा के प्रयोग से एल्कोहॉली पे य उत्पन्न तकया जा सकिा है ।
मिा की फसल पकने की अववध है – 110 तदन
C4 पौधा है – मिा
भारत में तीन शीर्ष मिा उत्पादक राज् है – कनााटक, मध्य प्रदे श एर्वं तबहार
शस्क्तमान 1 और शस्क्तमान 2 अनुवां वशक पररववतष त फसलें हैं – मिा की
भारत में केसर का वाविस्ज्क स्तर पर उत्पादन होता है – जम्मू और कश्मीर में
भारत में केसर की सबसे अवधक मात्रा उत्पन्न होती है – कश्मीर में
वह पौधा वजस की खेती पौधे का प्रवत रोपि करके की जाती है – प्याज
फसल चक्र जो पूवी उत्तर प्रदे श के वलए सवाष वधक उपयुक्त समझा जाता है , वह है –
िान, मिा, गे हं
भागीरथी घाटी में राजमा और आलू की खेती प्रारं भ करने का श्रेय वदया जाता है –
तर्विन को
सब्जी उत्पादन में भारत का थथान है – तद्विीय
ववश्व में सस्ब्जयों का सवाष वधक उत्पादन करने वाला दे श है – चीन
आम की बीज रवहत प्रजावत है – तसंिु
आम की वह वकस्म जो दशहरी एवं नीलम के क्रॉस से ववकवसत की गई है –
आम्रपाली
लवलत उन्नत वकस्म है – अमरूद की
आम की वनयवमत फसल वाली प्रजावतयां है – दशहरी-51, बैंगालोरा (िोिापरी),
नीलम, आम्रपाली आतद
‘कंचन’ एक उन्नत वकस्में है – आं र्वला की
केले का अवधकतम उत्पादन होता है – ितमलनाडु में
बोरलॉग पुरस्कार वदया जाता है – कृति तर्वज्ञान के क्षेत्र में
प्रसंस्करि हे तु आलू की सबसे अच्छी वकस्म है – कुफरी तचप्सोना 2
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा वमशन का एक लक्ष्य धारिीय रीवत से दे श के चुवनंदा वजलों में
खेतीगत जमीन में बढ़ोतरी एवं उत्पादकता में वृस्द्ध लाकर कुछ फसलों की
उत्पादकता में वृस्द्ध लाना है । यह फसलें हैं – केर्वल चार्वल, गे हं, दलहन, बाजरा
एर्वं चारा की फसलें
वह फसले जो अवधकां शत: वनवाष हमूलक कृवर् के अंतगषत पैदा की जाती है – मोटे
अनाज िथा चार्वल
अदरक का तना जो वमट्टी में होता है और खाद्य का संग्रहि करता है , वह कहलाता
है – प्रकंद
अनाज के दानों का उत्पादन है – ओट मील
उत्तराखंड में हो गाया जाने वाला अनाज ‘मंडुआ’ (कोदा) का वनयाष त दे श में
अवधकां शत: वकया जा रहा है , वह है – जापान
प्रमुखतया वर्ाष आधाररत फसल है – मूंगफली, तिल, बाजरा
वह अपने जो दलहन चारा और हरी खाद के रूप में प्रयुक्त होती है – लोतबया,
अरहर एर्वं मूंग
वह राज् वजसमें सवष उपयुक्त जलवायु ववर्यक स्थथवतयां उपलब्ध है , वजसमें न्यू नतम
लागत से आवकषड की वववभन्न वकस्मों की खेती हो सकती है , और वह इस क्षेत्र में
वनयाष त उन्मुख उद्योग ववकवसत कर सकता है – अरुणाचल प्रदे श
दे श का प्रथम पूिष रुप से जै ववक राज् घोवर्त वकया गया है – तसक्किम को
गुजरात राज् की वववशर््टताएं हैं – उस का उत्तरी भाग शुष्क एर्वं अद्धा शुष्क है ।
उस के मध्य भाग में कपास का उत्पादन होिा है । उस राज् में खाद्य फसलों
की िुलना में नगदी फसलों की खेिी अतिक होिी है ।
भारत में ग्वार (क्लस्टर बीन) का पारं पररक रुप से सब्जी या पशु आहार के रूप में
उपयोग वकया जाता है , वकंतु हाल ही में इसकी खेती ने महत् का थथान प्राप्त वकया
है । इस संदभष में सही कथन है – इसके बीजों से तनतमाि गोंद, शेल गैस के
तनष्किाण में प्रयुक्त होिा है ।
भारत में कुल मत्स्य उत्पादक अग्रिी राज् क्रमशः है – आं ध्र प्रदे श, पतिम बंगाल,
गु जराि, ितमलनाडु
PBW-343 और DBW-17 प्रजावतयां है – गे हं की
धान की खैरा बीमारी के वलए प्रयोग वकया जाता है – तजंक सल्फेट
भारत में आम का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज् हैं – उत्तर प्रदे श, आं ध्र प्रदे श,
कनााटक, िेलंगाना
ववश्व के फल उत्पादन में भारत का योगदान है – 15% लगभग
स्टॉक फावमिंग है – पशुओ ं का प्रजनन
प्रवत 100 हे क्टे यर सकल कृर््य क्षेत्र में मवेवशयों की संख्या का घनत् व सबसे अवधक
है –तबहार में
भारत की लगभग एक वतहाई गाय-बैलों की संख्या तीन राज् यों में पाई जाती है , ये
हैं – मि् यप्रदे श, उि्िरप्रदे श एर्वं पतिम बंगाल
सही कथन है – मि् यप्रदे श में भारि के गाय-बैलों की सर्वाातिक संख्या पाई
जािी है । उि्िर प्रदे श में भारि के भैंसों की सर्वाातिक संख्या पाई जािी है ।
आं ध्रप्रदे श में भारि की भेडों की सर्वाातिक संख्या पाई जािी है । भारि में
ितमलनाडु गाय के दू ि का सबसे बडा उि्पादक है ।
भारत में सवाष वधत दु ग्ध दे नेवाली बकरी की नस्ल है – जमनापरी
थारपरकर प्रजावत की गाय पाई जाती है – राजस्थान के सीमार्वृतत्त क्षेत्र में
गाय की जो नस्ल अवधक दू ध दे ती है , वह है – सातहर्वाल
ववश् व में दु ग्ध उत् पादन के क्षेत्र में भारत का स्थान है – प्रथम
भारत में दु ग्ध का सवाष वधक उत् पादन होता है – उि् िरप्रदे श में
‘ऑपरे शन फ्लड’ का संबंध है – दु ग्ि उि् पादन एर्वं तर्विरण से
भारत की ‘श् वेत क्रां वत’ का जनक कहा जाता है – डॉ. र्वगीज कुररयन को
श् वेत क्रां वत संबंवधत है – दु ग्ि उि्पादन से
‘रार््टरीय डे यरी शोध संस्थान’ स्थथत है – करनाल में
भारत का सबसे महत्वपूिष खवनजयुक्त रॉक तं त्र है – िारर्वाड िं त्र
ववंध्य शैलों में वृहद भंडार पाए जाते हैं – चूना पि् थर के
भारत के खवनज संसाधनों के सबसे बडे भंडार हैं – दतक्षण-पू र्वा में
खवनज संसाधनो की सवाष वधक संपन्नता है – कनााटक में
भारत के भौवमकीय शैल क्रमों में लौह अयस्क का समृद्ध भंडार पाया जाता है –
िारर्वाड क्रम में
भारत में कोयला के कुल संवचत भंडार की दृवष्ट् से संपन्न राज् य हैं – झारखंड,
ओतडशा, छि्िीसगढ़, प. बंगाल एर्वं मि् य प्रदे श
भारत में कोयले के उत्पादन की दृवष्ट् से शीर्ष राज् य हैं – छि्िीसगढ़, झारखंड,
ओतडशा, मि् य प्रदे श िथा िेलंगना
कुद्रे मुख क्षेत्र संबंवधत है – लौह अयस्क से
वह भारतीय राज् य जहां लौह अयस्क उपलब्ध नहीं है – पं जाब
राजस्थान की नाथरा-की-पाल क्षेत्र में पाया जाने वाला खवनज है – लौह अयस्क
बैलावडला खान संबंवधत है – लौह अयस्क से
भारत में सबसे बडी मशीनीकृत खान है – बैलाडीला खान
एवशया का श्रेर््ठ जस्ता एवं सीसा अयस्क भंडार उपलब्ध है – भीलर्वाडा तजले के
रामपु रा अगु चा में
राजस्थान का लगभग एकावधकार है – जस्िा में
भारत के प्रमुख चां दी उत् पादक राज् य हैं – राजस्थान एर्वं कनााटक
मध्य प्रदे श में तां बा पाया जाता है – मलाजखंड (बालाघाट तजला) में
वह राज् य वजसमें तां बा का सबसे अवधक भंडार है – राजस्थान, झारखंड
भारत में सवाष वधक वनकेल उत् पादन होता है – ओतडशा में
तां बां के क्षेत्र एवं संबंवधत राज् य – चंदरपु र – महाराि्टर, हासन – कनााटक,
खम्मम – िेलंगाना, खेिडी – राजस्थान
बॉक्साइट अयस्क है – एलयुमीतनयम का
भारत के शीर्षस्थ बॉक्साइट उत् पादक राज् य हैं – ओतडशा एर्वं गु जराि
भारत में वटन अयस्क का प्रमुख भंडार है – छि् िीसढ़़़ में
भारत में वटन का अग्रगि् य उत् पादक राज्य है – छि्िीसगढ़
भारत में अभ्रक का सबसे बडा उत् पादक राज्य है – आं ध्र प्रदे श
भारत में अभ्रक संसाधन सवाष वधक हैं – आं ध्र प्रदे श में
भारत की सबसे बडी अभ्रक( Mica) मेखला वाले वजले हैं – हजारीबाग, गया और
मुंगेर
ववश् व में अभ्रक का अग्रिी उत् पादक है – चीन
सवोत् तम वकस्म का संगमरमर पाया जाता है – मकराना में
संगमरमर है , एक – कायांिररि चट्टान एर्वं पुनरा र्वीकृि चूना पि् थर
भारत के शैल तं त्रों में कोयला वनचयों (वडपॉवजट् स) का प्रमुख स्त्रोत है – गोंडर्वान
िं त्र
भारतीय कोयले का अवभलक्षि हैं – उच्च भस्म, अंश, तनम्न सल् फर अंश
भारत के शैल समूहों में से गोंडवाना शै लों को सबसे महत् वपूिष मानने के वलए तकष
उपयुक्त है – इनमें भारि का 90 प्रतिशि से अतिक कोयला भंडार पाया जािा
है ।
प्राप्त जानकारी की वतष मान स्थथवत और संसाधन पररस्थथत को दे खते हुए भारत तीस
वर्ष तक आत् मवनभषर रहे गा – कोककारी कोयला में
छोटा नागपुर औद्योवगक क्षेत्र का ववकास संबंवधत रहा है – कोयला की खोज से
दे श में कुल कोयला-उत् पादन में झारखंड की भागीदारी है – 20%
वह राज् य वजसमें नामवचक-नामफुक कोयला क्षेत्र अवस्थथत है – अरूणाचल प्रदे श
कोरबा कोयला क्षेत्र अवस्थथत है – छि्िीसगढ़ में
कोयला-उत् पादक क्षेत्र तथा कोयला खदान के सुमेलन है – दामोदर घाटी –
बराकर, सोन घाटी – उमररया, गोदार्वरी घाटी – तसंगरोनी, महानदी घाटी –
िलचर
तलचर एक प्रवसद्ध कोयला क्षेत्र है – ओतडशा में
भारत के कोयला उत् पादन में छोटा नागपुर का योगदान है , लगभग – 80 प्रतिशि
कोयला क्षेत्र वजसमें कोयला भंडार सवाष वधक हैं – झाररया, रानीगं ज
झारखंड में कोयला की खानें स्थथत हैं – झाररया में
भारत में वलग्नाइट कोयले का सवाष वधक जमाव पाया जाता है – ितमलनाडु में
वबसरामपुर प्रवसद्ध है – कोयला खनन के तलए
कोयला क्षेत्र तथा संबंवधत राज् यों के सही सुमेलन है – करनपु रा – झारखंड,
तसंगरे नी – आं ध्र प्रदे श, नेर्वेली – ितमलनाडु , कोरबा – छि् िीसगढ़
कोयले के वृहत सुरवक्षत भंडार होते हुए भी भारत वमवलयन टन कोयले का आयात
करता है , क्योंवक – भारि के अतिकिर तर्वघुि संयंत्र कोयले पर आिाररि हैं
और उन्हें दे श से पयााप्ि मात्रा में कोयले की आं िररक आपू तिा नही ं हो पािी।
इस्पाि कंपतनयों को बडी मात्रा में कोक कोयले की आर्वश्यकिा पडिी है ,
तजसे आयाि करना पडिा है ।
भारतीय कोयला उद्योग की समस्याएं हैं – तनम्न कोतट का कोयला एर्वं कोयला
संचलन में बािा, िु लाई संस्थानों की उपयोग क्षमिा में कमी, कोतकंग कोयला
के आयाि पर बढ़िी तनभारिा, काया संचालन कीमिें
कोयले का सवाष वधक उपयोग होता है – ऊजाा उि् पादन में
भारत में सबसे पुराना तेल का भंडार / ते लशोधन इकाई अवस्थथत है – तडग् बोई
(असम में)
भारत में पेटरोवलयम का अग्रिी उत् पादक राज्य है – राजस्थान
अंकलेश्वर प्रवसद्ध है – पे टरोल के भंडार के तलए
लु नेज पेटरोल उत् पादक क्षेत्र स्थथत है – गु जराि में
नवग्राम तेल क्षेत्र स्थथत है – गु जराि में
भारत में सवषप्रथम खवनज तेल का कुआं खोदा गया – माकूम में
आं ध्रप्रदे श में अवस्थथत ते ल पररशोधन शाला है –तर्वशाखापट्टनम िेलशोिन केंि
पनागुडी (तवमलनाडु ) प्रवसद्ध है – पर्वन चक्कियों एर्वं राकेट इं जन प् लांट के तलए
भारत में सवषप्रथम तेल/ऊजाष संकट प्रारं भ हुआ – 1970 और 1980 के दौरान
ते लशोधनशाला तथा राज् य का सही सुमेलन है – हक्किया – पतिम बंगाल,
जामनगर – गु जराि, कोक्कि – केरल, नुमालीगढ़ – असम, िािीपाका –
आं ध्रप्रदे श, कोयाली – गु जराि, बरौनी – तबहार, नूनमाटी – असम, मंगलौर –
कनााटक, पानीपि – हररयाणा
मंगला-भाग्यम्, शस्क्त एवं ऐश् वयाष है – बाडमेर-सांचौर बेतसन में खोजे गए िेल
क्षेत्र
14 एन ई एम पी ब्लॉक्स, 1 जे वी ब्लॉक्स, 2 नोवमनेशन ब्लॉक्स एवं 4 सी बी एम
ब्लॉक्स संबंवधत है – पेटरोतलयम अन्र्वेिण से
‘हाईडरोजन ववजन-2025’ संबंवधत है – पे टरोतलयम उि्पाद के भंडारण से
भारत में तेल अन्वेर्ि का कायष वकया जाता है – ऑयल इं तडया तलतमटे ड द्वारा
एच.बी.जे . पाईपलाईन द्वारा प्राकृवतक गैस का पररवहन होता है – दतक्षणी बेतसन से
हजीरा-बीजापुर-जगदीशपुर (एचबीजे ) गैस पाइप-लाइन वनवमषत की गई है – गै स
अथॉररटी ऑफ इं तडया तलतमटे ड द्वारा
भारत में अवधकां श प्राकृवतक गैस का उत् पादन वकया जाता है – मुम्बई हाई से
मुम्बई हाई ते ल क्षेत्र मुंबई तट से दू र है -160 तकमी
केजी-डी-6 बेवसन में, जो अप्रैल, 2009 से लगातार चचाष में है , भारी मात्रा में भंडार है –
गै स का
भारत के वह क्षेत्र वजसमें शेल गैस के संसाधन पाए जाते हैं – कैम्बे बेतसन, कार्वेरी
बेतसन, कृि्णा-गोदार्वरी बेतसन
कोयला, लकडी, डीजल तथा पेटरोल में से जीवाश् म ईंधन नहीं है – लकडी
गोंडवाना संस्तरों में पाया जाता है – कोयला तनक्षेप
माइका वसटी ऑफ इं वडया कहा जाता है – कोडरमा को
तां बां , गारनेट (तामडा), मैंगनीज एवं पाइराइट में से कायां तररत चट्टानों
(मेटामॉरवफक चट्टान) से संबंद्ध करें गे – गारनेट (िामडा) को
क्वाट्ष जाइट कायां तररत (Meramorphose) होता है – बलु आ पि् थर से
इं वडयन वमनरल बुक, 2015 के अनुसार, वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 में भारत में
मैंगनीज का सवाष वधक उत् पादन करने वाला राज् य है – मि् यप्रदे श
वर्ष 2014-15 में भारत में मैंगनीज उत् पादक राज् यों में उच्च से वनम्न उत् पादन
स्तर का सही क्रम है – मि् यप्रदे श, महाराि्टर, ओतडशा
खवनज एवं शीर्ष उत् पादक राज् य का सही सुमेलन है – लौह अयस्क – ओतडशा,
िांबा – राजस्थान (प्रथम मि् यप्रदे श), सोना – कनााटक, अभ्रक – आं ध्रप्रदे श,
खतनज िे ल – गु जराि (प्रथम राजस्थान), तजप् सम – राजस्थान, बॉक्साइट –
ओतडशा
हे मेटाइट, बॉक्साइट, वजप्सम तथा वलमोनाइट में से धातु खवनज नहीं है – तजप् सम
भारत का प्रमुखवजप्सम उत् पादक राज् य है – राजस्थान
केन्द्र एवं खवनजों के सही सुमले न है – मकुम – कोयला, डल्लीराजहरा – लौह
अयस्क, कोरापु ट – बॉक्साइट, तचत्रदु गा – मैंगनीज
तां बा, सोना, लोहा, कोयले का सही क्रम है – खेिडी-कोलार-कुिे मुख-झररया
वह राज् य वजसका क्रोमाइट उत् पाद में लगभग एकावधकार है – ओतडशा
ग्रेनाइट पवट्टयां तथा स्लेट बनाए जाते हैं – लतलिपु र में
भारत में हीरे की खानें अवस्थथत हैं – मि् य प्रदे श में
वह वजला वजसमें हीरा-युक्त वकम्बरलाइट के बृहत भंडार पाए गए हैं – रायपु र
सोनभ्रद जनपद में पाई जाने वाली धातु है – एं डलु साइट, पायराइट, डोलोमाइट
केरल के कई भागों की समुद्र-तटीय बालू में पदाथष पाए जाते हैं , वह पदाथष हैं –
इल् मेनाइ, तजरकॉन, तसल् मेनाइट
केरल के समुद्री तट पर पाया जाने वाला परमािु खवनज है – मोनोजाइट
केरल की मोनाजाइट बालु का में पाया जाता है – यूरेतनयम
जादु गुडा प्रवसद्ध है – यूरेतनयम के तलए
छत्तीसगढ़ राज्य में प्राकृवतक रूप से वमलने वाले खवनज हैं – बॉक्साइट,
डोलोमाइट, लौह अयस्क, तटन
छोटा नागपुर पठार वजस संसाधन में समृद्ध है , वह है – खतनज
भारत में सवाष वधक नमक उत् पादन होता है – गु जराि में
उडान एक गैस आधाररत शस्क्त पररयोजना है – महाराि्टर में
भारत में ऊजाष -उत् पादन में सवाष वधक अंश है – ऊि्मीय (थमाल) ऊजाा का
भारत में शस्क्त खंड में ऊजाष स्रोतों के भाग का सही क्रम है – िापीय – जलीय –
र्वायु/पर्वन – आक्किक
पविम बंगाल में रार््टरीय ताप ऊजाष कॉपोरे शन (NTPT) द्वारा सुपर ताप ववघुत
उत् पादन केंद्र स्थावपत है – फरक्का में
नेवेली तापववघुत संयंत्र का भरि करते हैं – िृिीयक कोयला (तलग् नाइट) से
रामागुंडम सुपर थमषल पॉवर स्टेशन अवस्थथत है – आं ध्र प्रदे श में
वह दे श वजसके सहयोग से ओबरा ताप ववद् युत केंद्र की स्थापना की गई थी – रूस
बोकारो का तापीय वबजलीघर स्थथत है – झारखंड में
भारत में प्रथम न्यूस्ियर ऊजाष स्टेशन की स्थापना हुई थी – िारापु र में
वर्ष 2016 तक भारत में कुल उत् पावदत ऊजाष में नावभकीय ऊजाष का प्रवतशत था –
3.38 प्रतिशि (नर्वंबर, 2017 िक के आं कडों के अनुसार नातभकीय ऊजाा का
प्रतिशि 2.1 है ।)
भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध महत्वपूिष नावभकीय ईंधन है – थोररयम
नावभकीय शस्क्त केंदों तथा राज्यों का सुमेलन है – कोटा – राजस्थान, िारापु र-
महाराि्टर, काकरापार – गु जराि, नरौरा – उि् िरप्रदे श
आस्िक संयंत्र एवं उनके चालू होने के वर्ों का सुमेलन है – कोटा – 1973,
काकरापार – 1993, कैगा – 2000, कलपक्कम – 1984
परमािु ववद् युत संयंत्र / गुरूजल संयंत्र तथा राज्यों के सुमलन है – थाल –
महाराि्टर, मानगु रू – िे लंगाना, कैगा- कनााटक, मुप्पांदल – ितमलनाडु
तवमलनाडु के कुडनकुलम में परमािु ररएक्टसष की 6 इकाइयां लगाने हे तु राजी हुआ
है – रूस
कुडनकुलम नावभकीय ऊजाष संयंत्र स्थावपत वकया जा रहा है – ितमलनाडु में
भारत अपने 25वें परमािु ववघुत संयंत्र का वनमाषि कर रहा है – रार्विभाटा
(राजस्थान) में
भारत का बीसवां परमािु वबजलीघर है – कैगा (कनााटक)
परमािु ऊजाष हे तु भारी जल संयंत्र स्थावपत है – हजीरा, बडौदा, कोटा, मानगु रू,
थाल आतद में
‘मीठी-ववरदी’ परमािु ऊजाष संयंत्र स्थावपत वकया जाएगा – यू.एस.ए. के सहयोग से
अिुशस्क्त ववद् युत वनगम वलवमटे ड एक संयुक्त उपक्रम है , भारतीय परमािु ऊजाष
वनगम और – एन.टी.पी.सी. का
कोयना जलववद् युत गृह अवस्थथत है – महाराि्टर में
रािा प्रताप पर ववघुतगृह स्थावपत है – कोटा मे
ऊर््मा ववघुत संयंत्र, पवन ऊजाष संयंत्र, जलववघुत ऊजाष संयंत्र तथा नावभकीय ववघुत
संपन्न में से महारार््टर का सतारा प्रवसद्ध है – पर्वन ऊजाा संयंत्र के तलए
पवन ऊजाष के उत् पादन में प्रथम स्थान रखता है – ितमलनाडु
भारत में ऊजाष उत् पादन एवं उपभोग के संबंध में कथन सही है – भारि में
उि् पातदि कुल र्व्यार्वसातयक ऊजाा स्त्रोिों का योगदान लगभग 14 प्रतिशि से
अतिक है ।
गुजरात, महारार््टर, तवमलनाडु एवं कनाष टक राज् यों में से पवन ऊजाष की एवशया की
सबसे बडी पररयोजना वजसकी क्षमता 150 मेगावॉट की है , स्थथत है – ितमलनाडु में
(र्विा मान में सुजलान ग्रु पद्वारा गु जराि के कच्छ में तनतमाि 1100 मेगार्वॉट की
पर्वन ऊजाा इकाई (wind form) एतशया की सबसे बडी इकाई है )
भारत में ‘ज् वारीय ऊजाष उत् पादन का प्रमुख क्षेत्र है – खंभाि की खाडी
भारत में ज्वारीय ऊजाष की सवाष वधक संभावनाएं हैं – भार्वनगर (गु जराि) में
एमएमटीसी, एमटीएनएल, एनसीएल तथा एनएचपीसी में से ववघुत उत् पादन के क्षेत्र
से संबंवधत है – एनएचपीसी
भारत में प्रवत व्यस्क्त प्राथवमक ऊजाष की खपत वर्ष 2014-15 में थी – 423.5 तकग्रा.
िे ल (17731 मेगाजूल) के बराबर
भारत में अपना सौर ऊजाष प्लां ट लगाने वाला प्रथम गां व रामपुरा स्थथत है – उि्िर
प्रदे श में
भूतापीय ऊजाष पर आधाररत मनीकरि वबजली संयंत्र स्थथत है – तहमाचल प्रदे श में
पेटरोवलयम, परमािु ऊजाष , प्राकृवतक गैस एवं बायोगैस में से ऊजाष का व्यावसावयक
स्त्रोत नहीं है – बायोगैस
नवीनीकृत ऊजाष संसाधन हैं – पर्वन ऊजाा, जल ऊजाा, सूया की ऊजाा, पृ थ्र्वी की
ऊजाा
स्टेनले स स्टील वमश्र धातु है – लोहा, क्रोतमयम और तनकेल की
धब्बारवहत स्टील बनाने में लोहे के साथ प्रयुक्त होने वाली महत् वपूिष धातु है –
क्रोतमयम
भारत में कवतपय लौह इस्पात संयंत्र पविमी तट में से होकर आयोवजत वकए गए हैं।
इस उद्योग के ऐसे अवस्थथतीय स्थथत्यां तरि का प्रमुख कारि है – गोर्वा एर्वं मि् य
प्रदे श के कुछ भागों में उि् िम श्रेणी के लौह अयस्क तनक्षेपों का तमलना िथा
इस क्षेत्र से इस्पाि तनयााि की िु लनाि् मक सुतर्विा
भारत में इस्पात उत् पादन उघोग को आयात की अपेक्षा होती है – कोककारी
(कोतकंग) कोयला के
‘वटस्को’ संयंत्र स्थथत है – टाटानगर के नजदीक
राउरकेला इस्पात संयंत्र स्थावपत वकया गया था – जमानी के सहयोग से
वभलाई स्टील प्लां ट संयुक्त उपक्रमहै – रूस एर्वं भारि सरकार का
चाय, जू ट, लौह एवं इस्पात तथा चीनीउद्योग में से वह उद्योगजो भारत के वलए सबसे
अवधक ववदे शी मुद्रा कमाता है – लौह एर्वं इस्पाि उद्योग
राउरकेला इस्पात संयंत्र को लौह अयस्क की आपूवतष होती है – क्योंझर से
भारत में इस्पात कारखानों का वह समूह जो स् वतं त्रता के पश् चात (वद्वतीय पंचवर्ीय
योजना में) बनाए गए थे – तभलाई, दु गाापुर िथा राउरकेला
छत्तीसगढ़ में कोरबा का महत् व है – एल् युमीतनयम उद्योग के कारण
टे ल्को (TELCO) कंपनी संबंवधत है – ऑटोमोबाइल से
कम्पनी एवं उनकी अवस्थथवत का सही सुमेलन है – बाल् को-कोरबा, तहं डाल्को –
तपपरी (रे नूकूट), नाल्को – भुर्वनेश्र्वर, एच.सी.एल. – खेत्री, इं तडयन
एल् युमीतनयम- हीराकंु ड, नेशनल एल् युमीतनयम – कोरापु ट
भारत का सबसे प्राचीन उद्योग है – सूिी र्वस्त्र
मसूररया साडी का संबंध है – कोटा तजले से
उत् तरप्रदे श में भारत इले क्टर ॉवनक्स वलवमटे ड स्थावपत है – गातजयाबाद में
चुनार प्रवसद्ध है – सीमेंट उद्योग के तलए
इं वडयन वमनरल बुक, 2015 के आं कडों के अनुसार, ववश् व स्तर पर सीमेंट उत् पादन
में भारत का स्थान है – दू सरा
वजप्सम, चूना पत् थन, राख तथा मवटपार में से सीमेंट का मुख्य संघटक है – चूना
पि् थर
वबहार में डालवमया नगर पवसद्ध है – सीमेंट के तलए
मध्यप्रदे श में कीटनाशक उद्योग हे तु प्रवसद्धहै – भोपाल
भारत में पंवजम, बंगलुरू, पुडुचेरी तथा औरं गाबाद औद्योवगक क्षेत्रों में से रबर उद्योग
स्थथत है – पं तजम में
वपपरी (उत् तरप्रदे श) में उद्योग है – जलतर्वद् युि
भारत का प्रथम उवषरक कारखाना स्थथत है – फूलपु र (उि्िरप्रदे श) में
भारत का सबसे बडा पेटरो-रसायन कारखाना स्थथत है – गु जराि में
स्टील अथॉररटी ऑफ इं वडया की स्थापना का वर्ष है – 1974 में
भारत में सवाष वधक कागज वमलें स्थथत है – गु जराि में
1818 ई. में पहला सूती वस्त्र कारखाना शु रू हुआ – पतिम बंगाल में
फोटा ग्लास्टर में
भारत में प्रथम कपास वमल (सूती वस्त्र उद्योग) की स्थापना हुई थी – कलकि्िा में
‘डायमंड पाकष’ – ये र्वे औद्योतगक केंि हैं , जो हीरों, तसंथेतटक जर्वाहरािों िथा
आभूिणों के तनमााण और तनयााि को प्रोि् सातहि करनेके तलए बनाए गए हैं ।
पंजाब में होजरी उद्योग के वलए प्रवसद्ध है – लु तियाना
भारत में वह उद्योग जो पानी का सबसे बडा उपभोक्ता है – िाप शक्कक्त
दे श में पेटरो-रसायन के उत् पादन का सबसे बडा केंद्र स्थथत है – जामनगर में
पारं पररक साडी / वस्त्र उत् पादन के वलए सुख्यात हैं – चंदेरी एर्वं कांचीपु रम
बनारसी जरी और साव़डयां , राजस्थानी दाल-बाटी-चूरमा तथा वतरूपवत लड् डू में से
‘भौगोवलक सूचना’ (वजओग्रॉफीकल इं वडकेशन) की स्थथवत प्रदान की गई है –
बनारसी जरी और सात़़डयां िथा तिरूपति लड् डू को
वशवकाशी औद्योवगक क्षेत्रअवस्थथत है – ितमलनाडु में
भारत में वशवकाशी केंद्र स्थथत है – मदु रई-कोयम्बटू र-बंगलुरू औद्योतगक प्रदे श
में
मध्यप्रदे श में पीथमपुर को जाना जाता है – ऑटोमोबाइल के तलए
1988 में अंटाकषवटका महाद्वीप पर भारत ने दू सरा वैज्ञावनक शोध केंद्र ‘मैत्री’ स्थावपत
वकया था। इस शोध केंद्र में अनुसंधान कायष है – समुिी जैर्वशास्त्र के क्षेत्र में
अनुसंिान
अंटाकषवटका में तीसरे भारतीय शोध केंद्र की आधारवशला वजस नाम से रखी गई, वह
है – भारिी
‘दवक्षि गंगोत्री’ के नाम से जाना जाता है – भारि का प्रथम अंटाकातटक शोि केंि
इरटरनेशनल क्रॉप ररसचष इरस्टीट्यूट फॉर सेमी-एररड टर ॉवपक्स
(आईसीआरआईएसएटी) स्थथत है – है दराबाद में
केंद्रीय शुर््क भूवम कृवर् अनुसंधान(CRIDA) अवस्थथत है – है दराबाद में
केंद्रीय शुर््क बागवानी संस्थान स्थथत है – बीकानेर में
रार््टरीय कृवर् अनुसंधान प्रबंधन अकादमी अवस्थथत है – है दराबाद में
‘रार््टरीय कृवर् ववपिन संस्थान’ स्थथत है – जयपु र में
उद्यान एवं वावनकी ववश्वववद्यालय स्थथत है – सोलन में
सेंटरल फूड टे क्नॉलोवजकल ररसचष इं स्टीटयूट स्थथत है – मैसूर में
सही सुमेलन है – राि्टरीय पयाार्वरण अतभयांतत्रकी अनुसंिान संस्थान – नागपू र,
केंिीय खाद्य प्रौद्योतगकी अनुसंिान संस्थान – मैसूर, केंिीय आलू अनुसंिान
संस्थान – तशमला, केंिीय िम्बाकू अनुसंिान संस्थान – राजामुंिी
शस्य वावनकी का रार््टरीय शोघ केंद्र अवस्थथत है – झांसी में
खेतों में प्रयुक्त होने वाले औजारों और मशीनों पर शोघ और ववकास कायष ‘सेंटरल
इं स्टीट्यूट ऑफ इं जीवनयररं ग’ द्वारा वकया जा रहा है , जो स्थथत है – भोपाल में
भारतीय चावल शोघ-संस्थान स्थथत है – कटक में
रार््टरीय डे यरी अनुसंधान संस्थान स्थथत है – करनाल में
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान स्थथत है – कानपु र में
भारतीय शाकबाजी अनुसंधान संस्थान स्थथत है – र्वाराणसी में
केंद्रीय उपोर््ि बागवानी संस्थान अवस्थथत है – लखनऊ में
‘इं वडयन ब्यूरो ऑफ माइं स’ का मुख्यालय अवस्थथत है – नागपु र में
केंद्रीय खनन अनुसंधान संस्थान स्थथत है – नागपु र में
भारतीय हीरा संस्थान स्थावपत है – सूरि में
रार््टरीय दु ग्ध ववकास बोडष स्थथत है – आनंद में
सही सुमेलन है – राि्टरीय शकारा संस्थान – कानपु र, तमश्र िािु तनगम तलतमटे ड
– है दराबाद, सैन्य तर्वति संस्थान – काम्टी, राि्टरीय अखंडिा संस्थान – पुणे
‘भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान’ स्थथत है – लखनऊ में
सही सुमेलन है – केंिीय िान अनुसंिान संस्थान – कटक खेिी प्रणाली
अनुसंिान तनदे शालय – मेरठ, भारिीय मृदातर्वज्ञान संस्थान – भोपाल, शस्य
र्वातनकी का राि्टरीय शोघ केंि – झांसी
‘रार््टरीय एटलस और वथमेवटक मानवचत्र संगठन’ स्थथत है – कोलकािा में
भारत में नेचुरल वहस्टरी का रार््टरीय संग्रहालय स्थावपत है – नई तदल्ली, मैसूर,
भोपाल एर्वं भुर्वनेश्र्वर में
सही सुमेलन है – सी.एस.एस.आर.आई. – करनाल, सी.टी.सी.आर.आई. –
तत्रर्वेिम, आई. आर. आर. आई. – मनीला, सी.ए.जेड.आर.आई. – जोिपु र
पौध संरक्षि, संगरोध एवं भंडारि वनदे शालय अवस्थथत हैं – फरीदाबाद में
सही सुमेलन है – भारिीय गन्ना अनुसंिान संस्थान – लखनऊ, राि्टरीय पादप
आनुर्वंतशकी अनुसंिान ब्यूरो – नई तदल्ली, राि्टरीय पौि सुरक्षा प्रतशक्षण
संस्थान – है दराबाद, गे हं अनुसंिान तनदे शालय – करनाल
रार््टरीय जै ववक खेती केंद्र (एन.सी.ओ.एफ.) स्थथत है – गातजयाबाद में
भारत में दे श के कुल यातायात में सडक यातायात का भाग है – 80 प्रतिशि
भारत में कुल रार््टरीय राजमागषऔर उनकी कुल लं बाई तकरीबन है – क्रमश: 250
से अतिक और 100087 तकमी.
भारत का सबसे लं बा रार््टरीय राजमागष है – राि्टरीय राजमागा
रार््टरीय मागष क्र.4 वनम्नवलस्खत से होकर जाता है – महाराि्टर, आं ध्रप्रदे श,
कनााटक, ितमलनाडु
वह राज् य वजसमें रार््टरीय राजमागों की सवाष वधक लं बाई पाई जाती है – उि् िर प्रदे श
भारत का वह राज् य वजसमें प्रां तीय राजमागों की सकल लं बाई सबसे अवधक है –
महाराि्टर
स्विष चतुभुषज पररयोजना का संबंध है – राजमागा के तर्वकास से
भारत की स्वविष म चतुभुषज पररयोजना जोडती है – तदल्ली – मुंबई – चेन्नई –
कोलकािा को
‘प्रधानमंत्री भारत जोडो पररयोजना’ संबंवधत है – राजमागों के तर्वकास से
दो रार््टरीय राजमागष-कन्याकुमारी-श्रीनगर राजमागषएवं पोरबंदर-वसल् चर राजमागष,
जो रार््टरीय राजमागष ववकास पररयोजना के अंतगषत वनवमषतहो रहे हैं , एक दू सरे से
वमलें गे – झांसी में
उत् तर-दवक्षि गवलयारे (North-South Corridor) पर स्थथत नगरों का उत् तर से
दवक्षि का क्रम है – आगरा, ग् र्वातलयर, नागपुर, कृि्णातगरी
महारार््टर में 6 पथ एक्सप्रेस मागष द्वारा संबद्ध वकया गया है – मुंबई िथा पु णे को
आगरा, भोपाल, धुले तथा ग्वावलयर में से वह नगर जो रार््टरीय राजमागष 3 से नहीं
जु डा है – भोपाल
प्रधानमंत्री की ग्राम सडक योजना है – उन गांर्वों में सामुदातयक जीर्वन के तर्वकास
हे िु जो सडक से भली-भांति संबद्ध नही ं हैं ।
भारतीय राज् यों का उनके प्रवत 100 वगष वकमी. क्षेत्र में उनकी भूतल मागों की लं बाई
के अवरोही क्रम में सही अनुक्रम है – पं जाब, ितमलनाडु , महाराि्टर, हररयाणा
सही कथन हैं – राि्टरीय राजमागा संपूणा सडक पररर्वहन आर्वश्यकिा के
लगभग 40 प्रतिशि की पू तिा करिे हैं , राि्टरीय राजमागा संख्या 7 दे श का सबसे
बडा राजमागा है ।
अमृतसर से वदल् ली होकर कोलकाता तक के रार््टरीय राजमागष की संख्या है – 2
भारत का 40 प्रवतशतसडक पररवहन होता है – राि्टरीय राजमागा से
वह रार््टरीय राजमागष वजसकी मध्य प्रदे श में लं बाई सवाष वधक है – एन.एच.-3 आगरा
-ग् र्वातलयर – दे र्वास – मुंबई
रार््टरीय राजमागष पररयोजना के संबंध में सही कथन हैं – यह तदल्ली, मुंबई,
कोलकािा और चेन्नई को जोडिा है , इसकी कुल लं बाई 5846 तकमी. है ।
उि् िर-दतक्षण गतलयारा – श्रीनगर से कन्याकुमारी, पू र्वा-पतिम गतलयारा-
तसलचर से पोरबंदर
‘जवाहर सुरंग’ गुजरती है – बररहाल दरे से
भारत में सबसे पहले रे लमागष तैयार हुआ था -1853 में
भारत की पहली रे लवे लाइन बनी थी – मुंबई-थाणे के बीच 1853 में
‘बडी लाइन’ की दो पटररयों के बीच की दू री होती है – 51/2 फीट
गोरखपुर से मुंबई की रे लयात्रा का न्यूनतम दू री वाला मागष है – इलाहाबाद होकर
भारत के रे ल मंत्रालय की बुलेट-टर े न चलाने की योजना है , – मुंबई-अहमदाबाद के
मि् य
सही सुमेलन है – उि्िर-पू र्वा रे लर्वे – गोरखपुर, दतक्षण-पू र्वा रे लर्वे – कोलकािा,
पू र्वी रे लर्वे – कोलकािा, दतक्षण-पू र्वा मि् य रे लर्वे – तबलासपु र
सत् य कथन हैं – उि् िर-पतिम रे लर्वे का मुख्यालय जयपु र में स्तथि है । फेयरी
क्र्वीन तर्वश्र्व के सबसे पु राने चालू इं जन को प्रयोग करने र्वाली गाडी है िथा
भारिीय रे लर्वे इसके द्वारा र्वन्यजीर्वन िथा तर्वरासि स्थलों की यात्रा आयोतजि
करिी है ।
रे लवे का जोन मुख्यालय-हाजीपुर स्थथत है – तबहार में
उत् तर-मध्य रे लवे जोन(क्षेत्र) का मुख्यालय स्थथत है – इलाहबाद में
डीजल रे ल इं जन बनाए जाते हैं – मडु र्वाडीह में
वह राज् य जहां यात्री रे ल वडब्बों का बडी मात्रा में वनमाष ि होता है – पंजाब और
ितमलनाडु
रे ल् वे स्टाफ काले ज स्थथत है – बडौदा में
साल की लकडी का उपयोग अवधकतर होता है – रे ल् र्वे स्लीपर बनाने के उद्योग में
तीसरी रे ल कोच फैक्टरी थ् साावपत की जा रही है – रायबरे ली में
वह रे ल खंड जहां पर प्रथम सी.एन.जी. टर े न बनाया गया है – गु जराि
कोंकि रे ल्वे जोडता है – रोहा से मैंगलोर को
कोंकि रे ल्वे से सवाष वधक लाभास्ित राज् य है – गोर्वा, कनााटक, महाराि्टर, केरल
बेलगाम, मडगां व, रत् नावगरी एवं उडपी में से कोंकि रे लमागष नहीं जोडता है –
बेलगाम को
वह दो रे ल् वे स्टेशनों वजन्हें जोडने वाली रे ल लाइन को यूनेस्को ने धरोहर के रूप में
मान्यता दी है – तसलीगु डी िथा दातजातलंग
भारत में वह राज् य जो रे ल सेवा से बंवचत है – तसक्किम
रे ल सुरंगों का लं बाई के अनुसार सही अवरोही क्रम है – पीर पं जाल, कारबुद,
नाथूर्वाडी, बरदे र्वादी
मालाबार, कोंकि, कोरोमंडल तथा उत्तरी सरकार तटोंमें से ‘कोस्च्च बंदरगाह’ से
संबंवधत है – मालाबार िट
भारत में सबसे बडा पोत-प्रां गि (वशपयाडष ) है – कोक्कि (कोचीन)
भारत के मुख्य ज्वारीय पत् तन हैं – कोलकािा िथा कांडला
कां डला बंदरगाह जो एक प्राकृवतक बंदरगाह है , स्थथत है – कच्छ की खाडी (पू र्वी
िट)
भारत का सबसे गहरा पत् तन है – तर्वशाखापि् िनम
पारादीप का ववकासवजन बंदरगाहों का भार कर करने के वलए वकया गया था, वे हैं –
कोलकािा-तर्वशाखापि् िनम
पारादीप बंदरगाह अवस्थथत है – ओतडशा राज्य में
ममुषगाओं पत्तन वसथत है – गोर्वा में
भारत का सवाष वधक आयात नौभार तथा वनयाष त नौभारवहन वकया– कांडला पि्िन
ने
भारत में कृवत्रम पत्तन है – चेन्नई एर्वं िूिीकोररन
आं ध्रप्रदे श का बंदरगाह नगर है – काकीनाडा
पत् तन जहां एल.एन.जी. टवमषनल नहीं है , वह है – कांडला
वह स्थान जहां पर तीन अद्धष -चंद्राकार समुद्र तट वमलते हैं – कन्याकुमारी
सेतुसमुद्रम पररयोजना में नौपररवहन नहर की लं बाई है – 167 तकलोमीटर
सेतुसमुद्रम पररयोजना, वजन्हें जोडती हैं , वे हैं – मन्नार की खाडी और पाक
खाडी
कृर््िापट्टनम बंदरगाह के संवधषन से सवाष वधक लाभास्ित राज्य होगा – आं ध्रप्रदे श
भारत का सबसे बडा बंदरगाह है – मुंबईमें
गंगा नदी का वह भाग, वजसको रार््टरीय जलमागष घोवर्त वकया गया है – इलाहाबाद
से हक्किया िक
दे श का सबसे लंबा आं तररक जलमागष है – इलाहाबाद – हक्किया
वह रार््टरीय जलमागष जो कोट्टापुरम तथा कोल्लम को जोडता है – केरल िटीय
नहर जलमागा
रार््टरीय अंतदे शीयनौवहनसंस्थान (NINI) अवस्थथत है – पटना में
भारत का कोयले को संचावलत करने वाला बारहवां प्रमुख पत् तन ववकवसत हो रहा
है – चेन्नई के तनकट (एन्नौर में)
जामनगर, ओखा, पोरबंदर एवं बेरावल में से गुजरात का बंदरगाह कस्बा नहीं है –
जामनगर
भारत का खुला सागरीय बंदरगाह है – चेन्नई
भारत का खुला सागरीय बंदरगाह है – चेन्नई
भारत में ‘बाह्य पत् तन’ का वववशर््ट उदाहरि है – हक्किया
सावषजवनक सीवमत कंपनी के स्वावमत् व वाला भारत का सवषप्रथम ववमानपत् तन है –
कोचीन तर्वमानपि्िन
दमन, जंजीरा, कराईकल एवं रत् नावगरी बंदरगाहों में से वह जो भारत के पविमी तट
पर स्थथत नहीं है – कराईकल बंदरगाह
भारत का सबसे बडा जहाज तोडने का याडष में स्थथत है – अलं ग (गु जराि के
भार्वनगर) में
वतष मान मुंबई बंदरगाह के दबाव को कम करने के वलए वजस पत्तन का वनमाष ि
वकया गया, वह है – न्हार्वाशेर्वा (ज.ल.न. पि्िन)
वह राज् य वजसमें लं बे नौसंचालन चैनल द्वारासमुद्र से जोडें जाने के वलए एक कृवत्रम
अंतदे शीय बंदरगाह के वनमाष ि की संभावना का पता लगाया है – राजस्थान में
भारत में ‘गुलाबी नगरी’ कहते हैं – जयपु र को
भारत में ‘झीलों का नगर’ कहा जाता है – उदयपु र को
दवक्षि भारत के भगवान रं गनाथा (वजन्हें भगवान वेंकटे श भी कहते हैं ), का मंवदर
स्थथत है – तबतलतगरर रं गा पहाडी पर
भारतीय पयषटन मंत्रालय ने भारत में पयषटनको प्रोत् सावहत करने हे तु वजस अवधारिा
को लोकवप्रय करने का उपयोग वकया है , वह है – अिुल्य भारि
सबरीमाला स्थथत है – केरल राज्य में
भारत के ध्वस्त नगरों (घोस्ट टाउन) में है – कुलिारा, िनुिकोडी एर्वं लखपि
नगर
तीथष स्थान एवं उनकी अवस्थथवत – श्रीशैलम – नल् लमला पहात़़डयां, ओंकारे श्र्वर
– मान्िािा पहाड, पुि्कर – अरार्वली
वह संयंत्र जो शस्क्त तथा खाद दोनों दे सकता है – बायोगै स संयंत्र
‘कूररयर सेवा’ से प्रवतस् पधाष के वलए भारतीय डाक ववभाग ने ‘द्रुत डाक सेवा’ का
आरं भ वकया गया था – 1986में
ववश् व का वह दे श जो नाइटर ोजनी उवषरक उत् पादक तथा उपभोक्ता के रूप में
दू सरे स्ाावााान पर है – भारि
वटवड्यां भारत में प्रवेश करती है – पातकस्िान से
सही सुमेलन है – श्रीहररकोटा – आं ध्रप्रदे श, थुम्बा – केरल, भाभा एटॉतमक
ररसचा सेंटर – मुंबई, पोखरन – राजस्थान
थु म्बा में ववक्रम साराभाईअंतररक्ष केंद्र की स्थापना के वलए सबसे महत् वपूिष कारि
है – थुम्बा का भू-चुम्बकीय तर्विुर्वि रे खा पर क्कस्थि होना।
‘वद वहमालयन माउं टेवनयररं ग इं स्टीट्यूट’ स्थथत है – दातजातलंग में
केयनष (CAIRN) एनजी का मुख्यालय है – स्कॉटलैंड में
सही सुमेलन है – रामेश्र्वरम – ितमलनाडु , द्वारका – गु जराि, सारनाथ –
उि् िरप्रदे श, महाकाल मंतदर – मि् यप्रदे श
डायमंड हाबषर तथा साल् ट ले क वसटी अवस्थथत है – कोलकािा में
वडं डीगुल नाम है – ितमलनाडु में एक नेगर का
हररत राजमागष का लक्ष्य है – र्वृक्षारोपण
भारत में पीतल के बतष नों के वलए प्रवसद्ध है – मुरादाबाद (उ.प्र.)
‘जं गल महल’ कहलाने वाला क्षेत्र अवस्थथत है – पतिम बंगाल में
भारत के प्रथम परमािु ररएक्टर का नाम है – अप् सरा
भारतवर्ष में सवषप्रथम दू रभार् का प्रादु भाष व हुआ था – 1850 में
भारत में टे लीग्राफ सेवा सवषप्रथम शु रू हुई थी – कलकि्िा और डायमंड हाबार के
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