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सर

स ग्र
र्य हण मम जप करनन कक ससंकल्प
ॐ वविष्णवण विर्विष्णणवविर्विष्णणण शश्रीमद भगविततोमहहापणरुषस्य वविष्णतोरहाज्ञयहा प्रविरतर्विमहानस्य अदय ब्रह्मणतोननह दवविततय परहारर
शश्रीश्विवेतविहारहाहकल्पवे सप्तमवे विवैविस्वितमनविनतरवे अष्टहावविविंशतत तमवे कललियणगवे कललिप्रथमचरणवे जम्बबदविश्रीपवे भरतखण्डवे भहारतविषर
आयहार्विवितर्तैकदवे शवे वविक्रमनहाम सविंवितरवे अतहादय महहामविंगल्य फलिप्रद महासतोरतमवे महासवे पण्
ण यपववित शहाविणमहासवे शणभवे ककष्ण पकवे
अमहाविस्यहा ततथथ सथम्यहाविहासरवे अदय शश्रीसबयग्र
र्वि हण पणण्यकहालिवे अस्महाकविं सदगणरुदवे विविं पहादहानहाविं परम पबज्य सविंत शश्री आसहारहामजश्री
बहापबनहाविं पररविहार सहहतहानहाविं च आयणआरतोग्य ऐश्वियर्वि यशण ककीततर्वि पणनष्ट विवक द्धिअथर तथहा समस्त जगतत रहाजहहारवे सविर्वित सणखशहाविंतत
यशतोवविजय लिहाभहाहद प्रहाप्तयथर, सविर्वोपद्रवि शमनहाथर, महहामरक यणविंजय मविंतस्य तथहा ॐ हहविं, ॐ हबविं वविष्णविवे नमण, ॐ क्रक हहविं आविं
विवैविस्तहाय रमर्विरहाजहाय भक्तहानणग्रह ककतवे नमण स्विहाहहा, ॐ हहाविं हहविं हक सण शश्री सबयहार्विय नमण इरयहाहद मविंतहाणहाविं च जपविं अहविं कररष्यवे।
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

'आददित्रहृदिर स्ततोत'
वविननरतोग
ॐ अस्य आहदरय हृदयस्ततोतस्यहागस्रयऋवषरनणष्टणपछनदण, आहदरयवेहृदयभबततो
भगविहान ब्रह्महा दवे वितहा तनरस्तहाशवेषवविघ्नतयहा ब्रह्मवविदयहालसद्धिथ सविर्वित जयलसद्धिथ च ववितनयतोगण।
ऋष्रकददिन्रकस
ॐ अगस्रयऋषयवे नमण, लशरलस। अनणष्टणपछनदसवे नमण, मणखवे। आहदरयहृदयभबतब्रह्मदवे वितहायवै नमण हृहद।
ॐ बश्रीजहाय नमण, गणह्यतो। रनश्ममतवे शक्तयवे नमण, पहादयतो। ॐ तरसववितणरररयहाहदगहायतश्रीककीलिकहाय नमण नहाभथ।
करन्रकस
ॐ रनश्ममतवे अविंगणष्ठहाभ्यहाविं नमण। ॐ समणदयतवे तजर्विनश्रीभ्यहाविं नमण।
ॐ दवे विहासणरनमस्ककतहाय मध्यमहाभ्यहाविं नमण। ॐ वविविरवितवे अनहालमकहाभ्यहाविं नमण।
ॐ भहास्करहाय कतननष्ठकहाभ्यहाविं नमण। ॐ भणविनवेश्विरहाय करतलिकरपष्क ठहाभ्यहाविं नमण।
हृदिरकददि असंगन्रकस
ॐ रनश्ममतवे हृदयहाय नमण। ॐ समणदयतवे लशरसवे स्विहाहहा। ॐ दवे विहासणरनमस्ककतहाय लशखहायवै विषट्।
ॐ वविविस्वितवे कविचहाय हणम म। ॐ भहास्करहाय नवेततयहाय विथषट्। ॐ भणविनवेश्विरहाय अस्तहाय फट्।
इस प्रकहार नयहास करकवे तनम्नहाविंककत मविंत सवे भगविहान सबयर्वि कहा ध्यहान एविविं नमस्कहार करनहा चहाहहए-
ॐ भबभणवि
र्वि ण स्विण तरसववितणविरर्वि वे ण्यविं भगर्वो दवे विस्य रश्रीमहह धरयतो यतो नण प्रचतोदयहात म।
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

आददित्रहृदिर स्ततोत
तततो रयद्धपररशकन्तसं समरन चचिन्तरक सस्स्थितम म।
रकविणसं चिकग्रततो दृष्टविक रयद्धकर समयपसस्स्थितम म।।1।।
दिदै वितदैश्चि समकगम्र द्रष्टयमभ्रकगततो रणम म।
उपगम्रकब्रविवीद रकममगरत्रतो भगविकसंस्तदिक।।2।।
उरर शश्री रहामचनद्रजश्री यद्धि
ण सवे थककर धचनतहा करतवे हणए रणभलब म मम खडवे थवे। इतनवे मम रहाविण भश्री यद्धि
ण कवे ललिए उनकवे
सहामनवे उपनस्थत हतो गयहा। यह दवे ख भगविहान अगस्रय मतण न, जतो दवे वितहाओविं कवे सहाथ यद्धि
ण दवे खनवे कवे ललिए आयवे थवे, शश्रीरहाम कवे पहास
जहाकर बतोलिवे।
रकम रकम महकबकहतो शण
श य गयह्रसं सनकतनम म।
रनन सविकर्यनररीन म वित्स समरन वविजनरष्रसन।।3।।
'सबकवे हृदय मम रमण करनवे विहालिवे महहाबहाहतो रहाम ! यह सनहातन गतोपनश्रीय स्ततोत सन
ण तो। विरस ! इसकवे जप सवे तम
ण यद्धि
ण मम
अपनवे समस्त शतओ
ण विं पर वविजय पहा जहाओगवे।'
आददित्रहृदिरसं पण्
य रसं सविर्यशतवय विनकशनम म।
जरकविहसं जपसं ननत्रमक्षरसं परमसं शशविम म।।4।।
सविर्यमसंगलमकसंगल्रसं सविर्यपकपप्रणकशनम म।
चचिन्तकशतोकप्रशमनमकरयविध
र्य दैनमयत्तमम म।।5।।
'इस गतोपनश्रीय स्ततोत कहा नहाम हवै 'आहदरयहृदय'। यह परम पववित और सम्पबणर्वि शतणओविं कहा नहाश करनवे विहालिहा हवै । इसकवे
जप सवे सदहा वविजय ककी प्रहानप्त हतोतश्री हवै । यह तनरय अक्ष्य और परम कल्यहाणमय स्ततोत हवै । सम्पबणर्वि मविंगलिक कहा भश्री मविंगलि हवै ।
इससवे सब पहापक कहा नहाश हतो जहातहा हवै । यह धचनतहा और शतोक कतो लमटहानवे तथहा आयण कतो बढहानवे विहालिहा उरतम सहारन हवै ।'
रसश्ममन्तसं समयदरन्तसं दिन विकसयरनमस्कशतम म।
पसजरस्वि वविविस्विन्तसं भकस्करसं भयविननश्विरम म।।6।।
'भगविहान सबयर्वि अपनश्री अननत ककरणक सवे सणशतोलभत (रनश्ममहान म) हह। यवे तनरय उदय हतोनवे विहालिवे (समणदयन म), दवे वितहा और
असणरक सवे नमस्ककत, वविविस्विहान म नहाम सवे प्रलसद्धि, प्रभहा कहा वविस्तहार करनवे विहालिवे (भहास्कर) और सविंसहार कवे स्विहामश्री (भणविनवेश्विर) हह।
तणम इनकहा (रनश्ममतवे नमण, समणदयतवे नमण, दवे विहासणरनमस्कतहाय नमण, वविविस्वितवे नमण, भहास्करहाय नमण, भणविनवेश्विरहाय नमण
इन नहाम मविंतक कवे दविहारहा) पबजन करतो।'
सविर्यदिनवितकमकतो ह्रनष तनजस्विवी रसश्मभकविननः।
एष दिन विकसयरगणकणाँल्लतोककन म पकनत गभसस्तशभनः।।7।।
'सम्पबणर्वि दवे वितहा इनहहविं कवे स्विरूप हह। यवे तवेज ककी रहालश तथहा अपनश्री ककरणक सवे जगत कतो सरतहा एविविं स्फबततर्वि प्रदहान करनवे
विहालिवे हह। यवे हह अपनश्री रनश्मयक कहा प्रसहार करकवे दवे वितहा और असणरक सहहत सम्पबणर्वि लितोकक कहा पहालिन करतवे हह।'
एष ब्रह्मक चि वविष्णयश्चि शशविनः स्कन्दिनः प्रजकपनतनः।
महन न्द्रतो धनदिनः ककलतो रमनः सतोमतो ह्रपकसं पनतनः।।8।।
वपतरतो विसविनः सकध्रक असश्विनन मरुततो मननःय ।
विकरवि
य सर्य न्हनः प्रजकनः प्रकण ऋतयकतकर्य प्रभककरनः।।9।।
'यवे हह ब्रह्महा, वविष्ण,ण लशवि, स्कनद, प्रजहापतत, इनद्र, कणबवेर, कहालि, यम, चनद्रमहा, विरूण, वपतर, विसण, सहाध्य,
अनश्विनश्रीकणमहार, मरुदगण, मन,ण विहाय,ण अनग्न, प्रजहा, प्रहाण, ऋतणओविं कतो प्रकट करनवे विहालिवे तथहा प्रभहा कवे पविंज
ण हह।'
आददित्रनः सववितक ससरनःर्य खगनः पष
स क गभकर्यसस्तमकन म।
सवि
य णर्यसदृशतो भकनदय हरण्ररन तक ददिविककरनः।।10।।
हररदिश्विनः सहसकचचिर्यनः सप्तससप्तमर्यररीचचिमकन म।
नतशमरतोन्मस्थिननः शम्भसस्त्ष्टक मकतर्यण्डककोंऽशयमकन म।।11।।
दहरण्रगभर्यनः शशशशरस्तपनतोऽहरकरतो रवविनः।
असगनगभर्भोऽददितननः पत
य नः शसंखनः शशशशरनकशननः।।12।।
व्रतोमनकस्थिस्तमतोभनदिरी ऋम्रजयनःसकमपकरगनः।
घनविसश ष्टरपकसं शमततो वविन्ध्रविवीस्थिवीप्लविसंगमनः।।13।।
आतपवी मण्डलरी मत्श रयनः वपसंगलनः सविर्यतकपननः।
कवविवविर्यश्वितो महकतनजक रक्तनः सविर्यभवितोदिभविनः।।14।।
नक्षतग्रहतकरकणकमचधपतो वविश्विभकविननः।
तनजसकमवप तनजस्विवी दविकदिशकत्मन म नमतोऽस्तय तन।।15।।
'इनहहविं कवे नहाम आहदरय (अहदततपणत), सववितहा (जगत कतो उरपनन करनवे विहालिवे), सबयर्वि (सविर्विव्यहापक), खग (आकहाश मम
वविचरनवे विहालिवे), पबषहा (पतोषण करनवे विहालिवे), गभनस्तमहान म (प्रकहाशमहान), सणविण
र्वि सदृश, भहानण (प्रकहाशक), हहरण्यरवे तहा (ब्रह्महाण्ड ककी
उरपनरत कवे बश्रीज), हदविहाकर (रहातत कहा अनरकहार दरब करकवे हदन कहा प्रकहाश फवैलिहानवे विहालिवे), हररदश्वि (हदशहाओविं मम व्यहापक अथविहा
हरवे रविं ग कवे घतोडवे विहालिवे), सहसहाधचर्वि (हजहारक ककरणक सवे सणशतोलभत), ततलमरतोनमथन (अनरकहार कहा नहाश करनवे विहालिवे), शम्भब
(कल्यहाण कवे उदगमस्थहान), रविष्टहा (भक्तक कहा दणण ख दरब करनवे अथविहा जगत कहा सविंहहार करनवे विहालिवे), अविंशणमहान (ककरण रहारण
करनवे विहालिवे), हहरण्यगभर्वि (ब्रह्महा), लशलशर (स्विभहावि सवे हह सणख दवे नवे विहालिवे), तपन (गमर पवैदहा करनवे विहालिवे), अहरकर (हदनकर),
रववि (सबककी स्तणतत कवे पहात), अनग्नगभर्वि (अनग्न कतो गभर्वि मम रहारण करनवे विहालिवे), अहदततपणत, शविंख (आननदस्विरूप एविविं व्यहापक),
लशलशरनहाशन (शश्रीत कहा नहाश करनवे विहालिवे), व्यतोमनहाथ (आकहाश कवे स्विहामश्री), तमतोभवेदह (अनरकहार कतो नष्ट करनवे विहालिवे), ऋग,
यजणण और सहामविवेद कवे पहारगहामश्री, घनविनक ष्ट (घनश्री विनक ष्ट कवे कहारण), अपहाविं लमत (जलि कतो उरपनन करनवे विहालिवे),
वविनध्यश्रीथश्रीप्लिविविंगम (आकहाश मम तश्रीव्रविवेग सवे चलिनवे विहालिवे), आतपश्री (घहाम उरपनन करनवे विहालिवे), मण्डलिह (ककरणसमबह कतो रहारण
करनवे विहालिवे), मरक यण (मथत कवे कहारण), वपविंगलि (भबरवे रविं ग विहालिवे), सविर्वितहापन (सबकतो तहाप दवे नवे विहालिवे), कववि (ततकहालिदशर), वविश्वि
(सविर्विस्विरूप), महहातवेजस्विश्री, रक्त (लिहालि रविं गविहालिवे), सविर्विभवितोदभवि (सबककी उरपनरत कवे कहारण), नकत, ग्रह और तहारक कवे स्विहामश्री,
वविश्विभहाविन (जगत ककी रकहा करनवे विहालिवे), तवेजनस्वियक मम भश्री अतत तवेजस्विश्री तथहा दविहादशहारमहा (बहारह स्विरूपक मम अलभव्यक्त)
हह। (इन सभश्री नहामक सवे प्रलसद्धि सबयद
र्वि वे वि !) आपकतो नमस्कहार हवै ।'
नमनः पसविकर्यर चगररन पसश्चिमकरकद्ररन नमनः।
ज्रतोनतगर्यणकनकसं पतरन ददिनकचधपतरन नमनः।।16।।
'पवि
ब धर्वि गरह उदयहाचलि तथहा पनश्चमधगरर अस्तहाचलि कवे रूप मम आपकतो नमस्कहार हवै । ज्यतोततगर्विणक (ग्रहक और तहारक) कवे
स्विहामश्री तथहा हदन कवे अधरपतत आपकतो प्रणहाम हवै ।'
जरकर जरभद्रकर हरर्यश्विकर नमतो नमनः।
नमतो नमनः सहसकसंशतो आददित्रकर नमतो नमनः।।17।।
'आप जय स्विरूप तथहा वविजय और कल्यहाण कवे दहातहा हवै । आपकवे रथ मम हरवे रविं ग कवे घतोडवे जणतवे रहतवे हह। आपकतो बहारविं बहार
नमस्कहार हवै । सहसक ककरणक सवे सश
ण तोलभत भगविहान सबयर्वि ! आपकतो बहारविं बहार प्रणहाम हवै । आप अहदतत कवे पत
ण हतोनवे कवे कहारण
आहदरय नहाम सवे प्रलसद्धि हवै , आपकतो नमस्कहार हवै ।'
नम उग्रकर विवीरकर सकरसं गकर नमतो नमनः।
नमनः पद्मप्रबतोधकर प्रचिण्डकर नमतोऽस्तय तन।।18।।
'(परहारपर रूप मम ) आप ब्रह्महा, लशवि और वविष्णण कवे भश्री स्विहामश्री हह। सरब आपककी सविंज्ञहा हह, यह सय
ब म
र्वि ण्डलि आपकहा हह तवेज
हवै , आप प्रकहाश सवे पररपण
ब र्वि हह, सबकतो स्विहाहहा कर दवे नवे विहालिहा अनग्न आपकहा हह स्विरूप हवै , आप रथद्ररूप रहारण करनवे विहालिवे हह,
आपकतो नमस्कहार हवै ।'
तमतोघ्नकर दहमघ्नकर शतयघ्नकरकशमतकत्मनन।
कशतघ्नघ्नकर दिन विकर ज्रतोनतषकसं पतरन नमनः।।20।।
'आप अज्ञहान और अनरकहार कवे नहाशक, जडतहा एविविं शश्रीत कवे तनविहारक तथहा शतण कहा नहाश करनवे विहालिवे हह, आपकहा स्विरूप
अप्रमवेय हवै । आप ककतघ्नक कहा नहाश करनवे विहालिवे, सम्पबणर्वि ज्यतोततयक कवे स्विहामश्री और दवे विस्विरूप हह, आपकतो नमस्कहार हवै ।'
तप्तचिकमवीकरकभकर हस्रन वविश्विकमर्यणन।
नमस्तमतोऽशभननघ्नकर रुचिरन लतोकसककक्षणन।।21।।
'आपककी प्रभहा तपहायवे हणए सणविणर्वि कवे समहान हवै , आप हरर (अज्ञहान कहा हरण करनवे विहालिवे) और वविश्विकमहार्वि (सविंसहार ककी
सनक ष्ट करनवे विहालिवे) हह, तम कवे नहाशक, प्रकहाशस्विरूप और जगत कवे सहाकश्री हह, आपकतो नमस्कहार हवै ।'
नकशरत्रनष विदै भसतसं तमनवि सज
श नत प्रभयनः।
पकरत्रनष तपत्रनष विषर्यत्रनष गभसस्तशभनः।।22।।
'रघणननदन ! यवे भगविहान सबयर्वि हह सम्पबणर्वि भबतक कहा सविंहहार, सनक ष्ट और पहालिन करतवे हह। यवे हह अपनश्री ककरणक सवे गमर
पहणहचहातवे और विषहार्वि करतवे हह।'
एष सयप्तनषय जकगनतर्य भसतनषय पररननसष्ष्ठितनः।
एष चिदैविकसगनहतोतसं चि फलसं चिदैविकसगनहतोततणकम म।।23।।
'यवे सब भबतक मम अनतयहार्विमश्रीरूप सवे नस्थत हतोकर उनकवे सतो जहानवे पर भश्री जहागतवे रहतवे हह। यवे हह अनग्नहतोत तथहा
अनग्नहतोतश्री पणरुषक कतो लमलिनवे विहालिवे फलि हह।'
दिन विकश्चि क्रतविश्चिदैवि क्रतसनकसं फलमनवि चि।
रकनन कशत्रकनन लतोकनषय सविरषय परमप्रभयनः।।24।।
'(यज्ञ मम भहाग ग्रहण करनवे विहालिवे) दवे वितहा, यज्ञ और यज्ञक कवे फलि भश्री यवे हह हह। सम्पबणर्वि लितोकक मम नजतनश्री कक्रयहाएह हतोतश्री हह,
उन सबकहा फलि दवे नवे मम यवे हह पण
ब र्वि समथर्वि हह।'
एनमकपत्सय कशच्छन षय ककन्तकरन षय भरनषय चि।
ककीतर्यरन म परु
य षनः कसश्चिन्नकविसवीदिनत रकघवि।।25।।
'रहाघवि ! वविपनरत मम , कष्ट मम , दग
ण म
र्वि महागर्वि मम तथहा और ककसश्री भय कवे अविसर पर जतो कतोई परु
ण ष इन सबयद
र्वि वे वि कहा ककीतर्विन
करतहा हवै , उसवे दणण ख नहहविं भतोगनहा पडतहा।'
पज
स रस्विदैनमनककग्रतो दिन विदिन विसं जगत्पनतम म।
एतत म ततगणय णतसं जप्तविक रद्ध
य नषय वविजनरसष्त।।26।।
'इसललिए तणम एकहाग्रधचत हतोकर इन दवे विहाधरदवे वि जगदहश्विर ककी पज
ब हा करतो। इस आहदरय हृदय कहा तश्रीन बहार जप करनवे
सवे तम
ण यद्धि
ण मम वविजय पहाओगवे।'
असस्मन म क्षणन महकबकहतो रकविणसं त्विसं जदहष्रशस।
एविमयक्त्विक तततोऽगस्त्रतो जगकम स रस्थिकगतम म।।27।।
'महहाबहाहतो ! तम
ण इसश्री कण रहाविण कहा विर कर सकतोगवे।' यह कहकर अगस्रय जश्री जवैसवे आयवे थवे, उसश्री प्रकहार चलिवे गयवे।
एतच्छ्रुत्विक महकतनजक, नष्टशतोकतोऽभवित म तदिक।
धकररकमकस सयप्रवीततो रकघविनः प्ररतकत्मविकन म।।28।।
आददित्रसं प्रनक्ष्र जप्त्विनदिसं परसं हषर्यमविकप्तविकन म।
ततरकचिम्र शयचचिभसत्र्य विक धनयरकदिकर विवीरर्यविकन म।।29।।
रकविणसं प्रनक्ष्र हृष्टकत्मक जरकस्थिर समयपकगमत म।
सविर्यरत्ननन महतक वित
श स्तस्र विधनऽभवित म।।30।।
उनकहा उपदवे श सणनकर महहातवेजस्विश्री शश्रीरहामचनद्रजश्री कहा शतोक दरब हतो गयहा। उनहकनवे प्रसनन हतोकर शणद्धिधचरत सवे
आहदरयहृदय कतो रहारण ककयहा और तश्रीन बहार आचमन करकवे शणद्धि हतो भगविहान सबयर्वि ककी ओर दवे खतवे हणए इसकहा तश्रीन बहार जप
ककयहा। इससवे उनहम बडहा हषर्वि हणआ। कफर परम परहाक्रमश्री रघणनहाथजश्री नवे रनणष उठहाकर रहाविण ककी ओर दवे खहा और उरसहाहपबविक
र्वि
वविजय पहानवे कवे ललिए विवे आगवे बढवे । उनहकनवे पबरहा प्रयरन करकवे रहाविण कवे विर कहा तनश्चय ककयहा।
अस्थि रवविरविदिसन्नररीक्ष्र रकमसं मयददितनकनः परमसं प्रहृष्रमकणनः।
ननशशचिरपनतससंक्षरसं वविददित्विक सयरगणमध्रगततो विचिस्त्विरन नत।।31।।
उस समय दवे वितहाओविं कवे मध्य मम खडवे हणए भगविहान सबयर्वि नवे प्रसनन हतोकर शश्रीरहामचनद्रजश्री ककी ओर दवे खहा और तनशहाचरहाज
रहाविण कवे वविनहाश कहा समय तनकट जहानकर हषर्विपबविक
र्वि कहहा 'रघणननदन ! अब जल्दह करतो'।
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
इरयहाषर शश्रीमद्रहामहायणवे विहाल्मश्रीककीयवे आहदकहाव्यवे यणद्धिकहाण्डवे पविंचहाधरकशततमण सगर्विण।
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